राजस्थान के बूंदी मेंये बेहद भावुक कर देने वाले पल थे, जब 68 दिन बाद गुरुवार को मोक्ष कलशयात्रा बस 16 अस्थिकलश लेकर हरिद्वार के सफर पर रवाना हुई। अपने मृत परिजनों की अंतिम निशानी अब नहीं बची थी। किसी के पिता, किसी के दादा तो किसी की मां की अस्थियां उन कलशों में थीं। पोता अपने दादाजी की अस्थियों को चूम रहा था। बेटी का चेहरा मां की अस्थियों को हरिद्वार रवाना करते वक्त आंसुओं से भीगा था...।
पत्नी-बच्चों से बोला- मैं आता हूं; नहीं लौट सका
तस्वीर मध्य प्रदेश के दतिया जिले की है। यहां आंधी से कई पेड़ गिर गए। तीन लोगों की मौत हो गई। आंधी आते ही चीना गांव के काशीराम ने पत्नी-बच्चों को घर भेजा, बोला- मैं आता हूं, लेकिन एक पेड़ उसी पर गिर पड़ा।
यह तस्वीर आंखों में सपनों और हाथों में दुनियाभर की खुशियों की है
तस्वीर राजस्थान के चूरु जिले की है। यहां गुरुवार को पटवारी व गिरदावर संघ की ओर से झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवार को राशन सहित अन्य सामग्री बांटी गई। तेज धूप में नंगे पैर घूमते एक बच्चे को जब अधिकारियों ने चप्पल पहनाई और खाने के लिए बिस्किट दिए, तो उसका चेहरा ऐसे खिला जैसे दुनियाभर की खुशी मिल गई। अन्य बच्चे भी राहत की नजरों से ताकने लगे।
50 साल की नर्स ड्यूटी के लिए 3 दिन में सीखी साइकिल
तस्वीर बिहार केऔरंगाबाद की है। यहांलॉकडाउन में जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हुआ तो 50 साल की नर्स मुन्नी बाला सुमन 20 दिनों तक पैदल कई किमी दूर डेरा से अस्पताल ड्यूटी की। मुन्नी ने तीन सप्ताह पहले 4600 रुपए में एक साइकिल खरीदी और अस्पताल परिसर में चलाने की कोशिश शुरू कर दी। तीन दिनों में वह साइकिल सीख गई। चौथे दिन से अपने डेरा से ड्यूटी साइकिल से जाना शुरू कर दिया।
गर्मी में पानी के लिए संघर्ष
तस्वीर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की है। यहां गर्मी ही नहीं हर मौसम में पानी की समस्या होती है। लेकिन गर्मी में यह काफी बढ़ जाती है। एक मटके पानी के लिए भी लोग 3 किमी दूर स्यापनपाड़ा गांव जाते हैं। ये गांव नॉनकमांड क्षेत्र में शामिल हैं, यहां पर यदि 500 मीटर गहरा खोद भी दिया जाए तो भी पानी नहीं आता है। यहां पाइप लाइन लीकेज में से पानी भरने के लिए लाइन लगानी पड़ती है। इस गांव में न तो हैंडपंप हैं और न ही तालाब। गांव में करीब 150 से ज्यादा परिवार हैं।
पानी के लिए जान 150 फीट गहरे कुंए के अंदर
तस्वीर राजस्थान के बाड़मेर जिले की है। रेतीले समंदर में पानी सदियों से किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं रहा है। पश्चिमी राजस्थान में पानी की समस्या का अपने स्तर पर समाधान गांवों में किया जाता है। ऐसा ही एक प्रयास है, पारंपरिक बेरियों और कुओं का निर्माण। ये यहां सबसे जोखिम वाले कामों में से एक है। अपने हाथों से एक एक बाल्टी मिट्टी निकाल कर लोग कुंए खोदते हैं। आलम अभी भी वही है लेकिन मशीनों के आने के बाद कच्ची और मिट्टी की दीवारें सीमेंट की बनने लग गई है। पथरीली जमीन तोड़ने के लिए ग्राइंडर सरीखी मशीनों का साथ मिल रहा है और तपती जमीन के अंदर पंखे थोड़ा काम करने लायक माहौल बना रहे हैं। क्षेत्रफल के लिहाज से राज्य के दूसरे सबसे बड़े जिले में 46 डिग्री तापमान में जमीन से 150 फीट गहराई में कामगारों का जान जोखिम में डाल कर किया जा रहा पानी को तलाशने का जतन सही मायने में किसी चुनौती से कम नहीं है।
25 दिन में बिक गया 250 करोड़ का गेहूं
तस्वीर कोटा के राजस्थान की है। यहां लॉकडाउन के दौरान भामाशाह मंडी में सोना बरस रहा है। यहां 25 दिन में लगभग 250 करोड़ का गेहूं बिक गया। मंडी में 13 अप्रैल से कारोबार शुरू हुआ। इसके बाद से 25 दिन गेहूं का कारोबार हुआ है। कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन अध्यक्ष अविनाश राठी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद खुली मंडी में अब तक खुली नीलामी में 15 लाख क्विंटल गेहूं का कारोबार हुआ है, जो 1700-1800 रुपए क्विंटल बिका। इसमें 10 दिन हड़ताल भी रही है। 28 मई तक करीब 20 हजार किसान गेहूं बेच चुके हैं। बुधवार को करीब 1.50 लाख बोरी गेहूं आया था। दो दिन से पूरी मंडी गेहूं से अटी है।
गर्मी के दौरान छाया की तलाश में ट्रेन के नीचे जिंदगी
तस्वीर राजस्थान के अलवर की है। रेल की पटरियों पर सोना खतरनाक है। यह जानते हुए भी तेज धूप से बचाव के लिए दोपहर में कुछ श्रमिक माल गोदाम पर खड़ी मालगाड़ी के एक डिब्बे के नीचे सो गए।
बिहार में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को बनाया आइसोलेशन सेंटर
तस्वीर बिहार के पटना की है। यहां के पाटलिपुत्रा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आइसोलेशन सेंटर के लिए बेड लगा दिए गए। बिहार कोरोना से जंग में हर स्थिति से मुकाबला करने के लिए तैयार है। इसके लिए कई निजी कॉम्प्लेक्स को भी चिन्हित किया गया है।
यह तस्वीर डराने वाली है: मरीज बढ़ रहे हैं, लॉकडाउन की छूट में ऐसा न करें
तस्वीर बिहार के भागलपुर की है।लॉकडाउन-4 में सरकार ने हल्की छूट क्या दी, लोगों ने अपना सामाजिक दूरी का दायरा ही तोड़ दिया। बाजार में आम दिनों जैसी भीड़ लगी।
जेठ की गर्मी में धुंध की ठंडक...6 डिग्री गिरा पारा
तस्वीर झारखंड के रांची शहर की है। गुरुवार को झारखंड के कई हिस्सों में सुबह से ही बादल छाए रहे। इससे अधिकतम तापमान 6 डिग्री गिर गया। 0.2 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि अधिकतम तापमान 33.8 और न्यूनतम 22.2 डिग्री दर्ज किया गया।
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from Dainik Bhaskar
1 Comments
Ohh so sad....
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