देश मेंलॉकडाउन का आज 55वां दिन है। इस बीच, संक्रमितों की संख्या भी एक लाख के करीब पहुंचती दिख रही है। शुक्र है कि देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लगा। अगर ऐसा नहीं होता तो देश में कोरोना की रफ्तार काफी तेज हो जाती। ...और ऐसा हम नहीं, आंकड़े कह रहे हैं।
लॉकडाउन से ठीक पहले संक्रमण के मामले हर 4 दिनों में दोगुने हो रहे थे। 21 मार्च को देश में संक्रमितों की संख्या 334 थी। 4 दिनों बाद यानी 25 मार्च को यह दोगुनी होकर 657 पर पहुंच गई। अगर इसी आंकड़े यानी 4 दिनों में मामले दोगुने होने के आधार पर 25 मार्च से 18 मई तक का कैल्कुलेशन करते हैं तो हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आते हैं।
लॉकडाउन नहीं लगता और अगर कोरोना के बढ़ने की रफ्तार पहले जैसी रहती तो 16 मई तक देश में संक्रमितों की संख्या 53 लाख 82 हजार से ज्यादा पहुंच सकती थी। मतलब पूरी दुनिया में कुल मिलाकर जितने मामले हैं, उससे भी 12% ज्यादा मामले भारत में हो सकते थे। अभी दुनिया में कोरोना के 48 लाख मामले हैं।
अब 13 दिनों में संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो रही
लॉकडाउन से पहले के हालात आप देख चुके हैं। अब बाद के भी देख लीजिए। लॉकडाउन के बाद कोरोना की रफ्तार में कमी आई। पहले हफ्ते में संक्रमितों का डबलिंग रेट 4 से बढ़कर 5.5 दिन हो गया। 25 मार्च तक संक्रमितों की संख्या 657 थी, जो 30 मार्च को बढ़कर 1326 हुई।लॉकडाउन के तीसरे हफ्ते डबलिंग रेट 6 दिन का हो गया। इसके बाद इसमें लगातार सुधार हुआ। अभी डबलिंग रेट 13 दिन का है। मतलब अब हर 13 दिनों में संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो रही है।
लॉकडाउन में छूट मिलते ही संक्रमण की रफ्तार बढ़ी
25 मार्च से 14 अप्रैल यानी 21 दिनों के लॉकडाउन में संक्रमण के 10 हजार 914 नए मामले आए। लॉकडाउन के दूसरे फेज में केंद्र सरकार ने लोगों को कई छूट दी। लोगों के घरों से निकलते ही इसकी रफ्तार तेज हो गई।
इन 18 दिनों के लॉकडाउन में 31,293 नए मामले आए। सरकार ने लॉकडाउन फेज-3 में थोड़ी और रियायतें दी तो मामले भी उसी तरह से बढ़े। लॉकडाउन फेज 3 के 14 दिन में संक्रमण के 55 हजार नए मामले सामने आए।
राहत: अब तक 30 हजार 258 मरीज ठीक भी हुए
- संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच राहत की बात है कि अब तक देश में 30 हजार 258 मरीजों को ठीक भी हो चुके हैं। कोरोना मरीजों के ठीक होने की रफ्तार लगातार बढ़ रही है।
- लॉकडाउन से पहले यानी 24 मार्च तक देश में संक्रमितों की कुल संख्या 571 थी। इसमें 40 लोग ही ठीक हुए थे।
- लॉकडाउन लगने के बाद 14 अप्रैल तक संक्रमितों की संख्या 11 हजार 485 हो गई। 1365 मरीज ठीक हो गए।
- लॉकडाउन के दूसरे फेज यानी 3 मई तक देश में 42 हजार 778 लोग संक्रमित हो चुके थे, जबकि इनमें 11 हजार 763 लोग बेहतर इलाज के बाद ठीक हो गए।
- लॉकडाउन के तीसरे फेज यानी 17 मई तक देश में 85 हजार 784 संक्रमित हुए, जबकि इनमें 30 हजार 258 लोग ठीक हो गए और उन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई।
लॉकडाउन से पहलेही मौत की रफ्तार तेज होने लगी थी
देश में संक्रमण के चलते अब तक 2 हजार 753 लोग जान गंवा चुके हैं। मौतों की इस संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। लॉकडाउन से पहले ही इसकी शुरुआतहो गई थी। 11 मार्च को देश में पहली मौत कर्नाटक में हुई। इसके बाद 24 मार्च तक 10 लोगों की जान चली गई। इसके बाद 21 दिनों के लॉकडाउन के पहले फेज यानी 14 अप्रैल तक 396 लोगों की मौत हुई।
18 दिनों के लॉकडाउन के दूसरे फेज में 3 मई तक यह आंकड़ा एक हजार पार करके 1463 तक पहुंच गया। अब 14 दिनों के लॉकडाउन के तीसरे फेज में मौतों की संख्या बढ़कर 2,753 हो गई है। राहत की बात यह है कि भारत में मौतों का ग्राफ अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। यहां 3.3% डेथ रेट है, जबकि अमेरिका, स्पेन, इटली, फ्रांस जैसे देशों में यह आंकड़ा कहीं ज्यादा है।
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