लॉकडाउन की वजह से खिलाड़ियों की परेशानी बढ़ी है। उन पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है। इससे सबसे ज्यादा खतरा उनके डिप्रेशन में जाने का है क्योंकि उन्हें लगता है कि अब शायद वे लक्ष्य हासिल नहीं कर सकेंगे। लेकिन मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक उनकी इस सोच को सही नहीं मानते।

एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर नंद कुमार ने बताया, ‘मनोवैज्ञानिक परेशानी के साथ लोग डॉक्टर के पास शुरुआत में जाने से कतराते हैं। लेकिन मौजूदा समय में खिलाड़ियों के आने की फ्रीक्वेंसी बढ़ी है।

दो रणजी क्रिकेटर मानसिक समस्या लेकर मेरे पास भी आए थे। मैं खिलाड़ियों को सिर्फ यह सलाह देना चाहता हूं कि घर पर ही शारीरिक परिश्रम करें और योग करें। इससे वे मोटिवेट होंगे।’

खिलाड़ियों को आत्मविश्वास बनाए रखना होगा

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की चीफ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. एकता पुरी का कहना है, ‘खिलाड़ी की पूरी जिंदगी एक्सरसाइज, फिटनेस और प्रैक्टिस पर चलती है। यह सब बंद हो गया तो उन्हें लगता है कि अब सब खत्म। ऐसे में उन्हें आत्मविश्वास को ठीक रखना होगा और उन्हें इस बात की सूची बनानी चाहिए कि इस वक्त क्या-क्या किया जा सकता है।’

लॉकडाउन के कारण खिलाड़ियों को खुशी नहीं मिल रही
डॉ. कुमार कहते हैं, ‘खिलाड़ी ज्यादा शारीरिक और मानसिक परिश्रम करते हैं। उनमें एंडोर्फिन और डोपामिन दो तरह के हॉर्मोन निकलते हैं। इससे उनको उस काम को करने में मजा आता है और प्रोत्साहन मिलता है।

लॉकडाउन की वजह से उन्हें वह खुशी नहीं मिल रही है। इसलिए उनके डिप्रेशन में जाने का खतरा है। उन्हें नींद कम आती है, चिड़चिड़ापन ज्यादा होता है।’



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
मनोचिकित्सकों की खिलाड़ियों की सलाह- घर पर ही शारीरिक परिश्रम करें और योग करें। इससे वे मोटिवेट होंगे। -फाइल


from Dainik Bhaskar