कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इम्यूनिटी पर बहस जारी है। इम्यूनिटी बढ़ाने के नुस्खें खूब चर्चा में है और हर्ड इम्यूनिटी जैसी नई बातें भी पता चल रही हैं। एक साथ आठ अलग-अलग वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं और उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन महीने में वैक्सीन बन जाएग।
इसी बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर करोल सिकोरा ने सुझाव दिया कि कोरोनोवायरस "किसी भी वैक्सीन के विकसित होने से पहले ही स्वाभाविक रूप से खत्म हो सकता है"।डब्ल्यूएचओ के कैंसर कार्यक्रम का निर्देशन करने वाले प्रोफेसर करोल सिकोरा ने कहा, "हम हर जगह एक समान पैटर्न देख रहे हैं और मुझे लगता है कि हमारे पास अनुमान से ज्यादा इम्यूनिटी है।"
उम्मीद से भरे हैं प्रोफेसर सिकोरा
जहां दुनिया में कोरोना के मामले 50 लाख का आंकड़ा छूने की ओर वहीं प्रोफेसर सिकोरा ने इस पड़ाव से अच्छे दिन लौटने की उम्मीद जताई है। उन्होंने अपने बयान में कहा,“हमें वायरस के फैलाव धीमा रखने की आवश्यकता है, और यह अपने आप ही बाहर हो सकता है। यह मेरी राय है कि क्योंकि व्यवहारिक तौर पर ऐसा ही हो रहा है। ”
जर्नल ऑफ क्लीनिकल प्रैक्टिस की रिपोर्टThere is a real chance that the virus will burn out naturally before any vaccine is developed.— Professor Karol Sikora (@ProfKarolSikora) May 16, 2020
We are seeing a roughly similar pattern everywhere - I suspect we have more immunity than estimated.
We need to keep slowing the virus, but it could be petering out by itself.
प्रोफेसर सिकोरा की ये उम्मीद परी टिप्पणी इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लीनिकल प्रैक्टिस में छपी उस स्टडी के बाद आई है जिसमें ब्रिटेन के डेटा की पड़ताल की गई है। इसमें अनुमान लगाया है कि अकेले ब्रिटेन में करीब 19 मिलियन लोग इस वायरस के सम्पर्क में आ चुके हैं और इसके बाद अब असली परीक्षा इम्यूनिटी की है।हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के कारण स्थितियां अभी काबू में हैं।
हर्ड इम्यूनिटी पर चेतावनी भी
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन में हेल्थ इमरजेंसी डायरेक्टरडॉ माइकल रेयान ने हर्ड इम्यूनिटी की अवधारणा को गलत बताया है। बीते हफ्ते उन्होंने मीडिया से बात करते हुएदुनिया की सरकारों की उस सोच कीभी आलोचना की है जिसमें वे लॉकडाउन में मर्जी से छूट और बेहद हल्के प्रतिबंध लगाकरयह सोच रहे हैं कि अचानक से उनके देशवासी “जादुई इम्यूनिटी” प्राप्त कर लेंगे।
हर्ड इम्यूनिटी के अनुसार, अगर कोई बीमारी किसी समूह के बड़े हिस्से में फैल जाती है तो इंसान की इम्यूनिटी उस बीमारी से लड़ने में संक्रमित लोगों की मदद करती है। इस दौरान जो लोग बीमारी से लड़कर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, वो उस बीमारी से ‘इम्यून’ हो जाते हैं। यानी उनमें प्रतिरक्षा के गुण पैदा हो जाते हैं।
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from Dainik Bhaskar
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