मांग में कमी और मजदूरों की गैरहाजिरी रोक रही टेक्सटाइल इंडस्ट्री की रफ्तार; गुजरात में 35% तो राजस्थान में 50% क्षमता से हो रहा काम

अनलॉक-1 के बाद देश के बड़े उद्योग धीरे-धीरे करवट बदलने लगे हैं।कुछ उद्योग रफ्तार भी पकड़ने लगे हैं। देश की सबसे पुरानी और बड़ी इंडस्ट्री में शुमार टेक्सटाइलभी इनमें से एक है। हालांकि, मांग में कमी और लेबर इंटेंसिव होने के चलते अन्य उद्योगों के मुकाबले इसे अधिक मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं।

दरअसल, लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर मजदूर अपने गांवों को लौट चुके हैं और मांग में भी काफी कमी आ गई है। ऐसे में चाहकर भी यह इंडस्ट्री 35 से 50%से अधिक उत्पादन नहीं कर रही है।25 हजार करोड़ के टर्नओवर वाली गुजरात की टेक्सटाइल इंडस्ट्री बीते तीन हफ्तों में सक्रिय हुई है।

हालांकि, मजदूरों की कमी के चलते 35%क्षमता तक ही उत्पादन हो रहा है। देश में 20 लाख से अधिक पावरलूम हैं, जिनमें से 6.5 लाख गुजरात में हैं। इसमें भी अकेले सूरत में 4.5 लाख पावरलूम इकाइयां हैं।

अगले तीन महीने तक उत्पादन सामान्य होना संभव नहीं

अहमदाबाद टेक्सटाइल एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट नरेश वर्मा के मुताबिक, कोरोना के चलते पूरी वैल्यू चेन बेटपरी हो गई है। अगले दो से तीन महीने तक मजदूरों की वापसी के आसार नहीं है। ऐसे में अगले तीन महीने तक उत्पादन सामान्य होना संभव नहीं है।

भीलवाड़ा में हर महीने 8 करोड़ मीटर से ज्यादा कपड़ा बनता है

राजस्थान के टेक्सटाइल हब भीलवाड़ा में भी मजदूरों की कमी के चलते टेक्सटाइल उद्योग को मुश्किल आ रही है। भीलवाड़ा की 360 विविंग, 18 स्पिनिंग और4 डेनिम मिलों और 18 प्रोसेस हाउस में से 80% में उत्पादन तो शुरू हो गया है, लेकिन मजदूरों और मांग की कमी की वजह से उत्पादन तो क्षमता का 50%तक ही हो पा रहा है। भीलवाड़ा में हर महीनेे आठ करोड़ मीटर से ज्यादा कपड़े का उत्पादन होता है।

लुधियाना में होजरी की करीब 8 हजार यूनिट बंद

पंजाब के लुधियाना में होजरी की 15,050 यूनिट हैं। इनमें से करीब आठ हजार बंद पड़ी हैं। जो चल रही हैं वह भी 30 से 40% क्षमता से काम कर रही हैंं। होजरी यूनिट इस समय गरम कपड़े बनाती हैं। इस बार मजदूरों की कमी के चलते यहां काम रुका हुआ है। इंडस्ट्री एसोसिएशन का कहना है कि जब तक मजदूर नहीं आते, तब तक काम शुरू होने की उम्मीद कम है।

मालूम हो, टेक्सटाइल इंडस्ट्री देश की सबसे पुरानी इंडस्ट्री में से एक है। करीब साढ़े तीन करोड़ लोगों को इसमें रोजगार मिला हुआ है। देश की जीडीपी में इस उद्योग की करीब 2%हिस्सेदारी है।

निर्यात 35 फीसदी तक गिरने के आसार

मार्च में पूरी हुई तिमाही में देश से कपड़ों के निर्यात में 13%की गिरावट दर्ज की गई थी। अप्रैल में इसमें 60%की गिरावट आई। सीमाएं बंद होने से ग्लोबल ट्रेड को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। इस वित्त वर्ष में रेडिमेड कपड़ों के निर्यात में 30 से 35%तक गिरने की संभावना है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ टेक्सटाइल

  1. 2.7 लाख करोड़ रु. का निर्यात पिछले साल
  2. 3.5 करोड़ लोगों को इस उद्योग में रोजगार
  3. 7% हिस्सा कुल औद्योगिक उत्पादन में
  4. 2% हिस्सेदारी देश की जीडीपी में

हमें राहत देने के बारे में सोचे सरकार

इंडस्ट्री लंबे समय से संकट का सामना कर रही है। कोरोना से मांग तो कम हुई ही है, मजदूरों के घर जाने से काम शुरू होने में भी परेशानी आ रही है। सरकार को हमें राहत देने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि लाखों लोगों के रोजगार बने रहें।
अर्पण शाह, चेयरमैन, गुजरात गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन

कपड़ा उद्योग में तेजी आने में लगेगा वक्त

भीलवाड़ा में सभी तरह के कपड़े का उत्पादन हो रहा है। हालांकि, करीब 15 हजार श्रमिकों की घर वापसी और मांग में कमी से कपड़ा इकाइयां क्षमता का 50%ही उपयोग कर रही हैं। कपड़ा इंडस्ट्री को पूरी रफ्तार पकड़ने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा।
आरके जैन, महासचिव, मेवाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री

सूरत से इनपुट: मीत स्मार्त



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मजदूरों की कमी के चलते 35% क्षमता तक ही उत्पादन हो रहा है। देश में 20 लाख से अधिक पावरलूम हैं, जिनमें से 6.5 लाख गुजरात में हैं। इसमें भी अकेले सूरत में 4.5 लाख पावरलूम इकाइयां हैं।


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