लॉकडाउन की वजह से नुकसान उठाने वाले किसान अपनी सब्जी को विदेश भेज सकेंगे। झारखंड में उपजी सब्जियां कटहल, भिंडी, करेला, गोभी, कद्दू आदिकोसिंगापुर, कतर, सऊदी अरब, लंदन सहित कई यूरोपीय देशों में निर्यात करने की तैयारी है। इससे सब्जी उत्पादक किसानों की आय 3 गुना तक बढ़ जाएगी।
पिछले साल राज्य से भिंडी, बीन्स थोड़ी मात्रा में दुबई व कतर में निर्यात की गई है। गुणवत्ता की वजह से यहां के सब्जियों की मांग ज्यादा है। यहां की सब्जियों की तारीफ कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की वार्षिक रिपोर्ट में भी की गई है। कृषि बाजार समिति ने पूरी तैयारी कर ली है। दो तीन महीनों में निर्यात शुरू हो जाएगा।
सब्जियों को दूसरे देशों में भेजने के लिए भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले प्राधिकरण एपीडा ने भी प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए एक्सपोर्टर कंपनी ऑल सीजन फॉर्म फ्रेश का सहयोग लिया जा रहा है।
समिति के पणन सचिव अभिषेक आनंद ने बताया कि झारखंड में सब्जियों को उगाने का ईको सिस्टम अच्छा होने और फर्टिलाइजर का उपयोग नहीं किए जाने से ये उच्च गुणवत्ता की होती हैं। शुरुआत में रांची व आसपास के क्षेत्रों की सब्जियां एक्सपोर्ट की जाएंगी।
झारखंड में विभिन्न सब्जियों का 40 लाख मीट्रिक टन उत्पादन
1. झारखंड के ड्रम स्टिक (सहजन की फली) और कटहल को पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, दिल्ली में काफी पसंद किया जाता है।
2. झारखंडमें विभिन्न सब्जियों का करीब 40 लाख मीट्रिक टन उत्पादन प्रति वर्ष होता है। झारखंड में सब्जियों की उत्पादकता 14.8 एमटी प्रति हेक्टेयर है।
3. राज्य में आलू, मटर, टमाटर, बैंगन, गोभी, बीन्स, भिंडी, कद्दू, करैला, ब्रोकली, हरी मिर्च, कटहल, ड्रम स्टिक, गिलकी सहित अन्य सब्जियों का भरपूर उत्पादन होता है।
कटहल व गोभी पिछले वर्ष दूसरे राज्य भेजे गए
पिछले साल पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, मुंबई, ओडिशा, हैदराबाद, छत्तीसगढ़ व बिहार में फ्रेंच बीन्स 1250 टन, मटर की फली 1200 टन, फूल गोभी 1800 टन, बंद गोभी 480 टन, शिमला मिर्च 800 टन, हरी मिर्च 600 टन, बैंगन 500 टन, कटहल 2100 टन, कद्दू 1080 टन, खीरा 600 टन व मूली 500 टन के अलावा टमाटर और अन्य सब्जियां भी भेजी गईं।
नोट: ये झारखंड की कृषि बाजार समिति के अनुमानित आंकड़े हैं।
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from Dainik Bhaskar
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