कोरोनावायरस के कारण स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग बढ़ेगा। भले ही दुनियाभर में खेल शुरू हो गए हों लेकिन अधिकांश जगह अभी भी फैंस को स्टेडियम में जाने की अनुमति नहीं है। जब तक वैक्सीन नहीं बन जाती है तब तक फैंस के बड़ी संख्या में स्टेडियम में पहुंचने पर संशय है।
हालांकि भारत की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री अभी इसके लिए तैयार नहीं है। टाटा कम्यूनिकेशंस के मीडिया और इंटरटेनमेंट के ग्लोबल हेड धवल पोंडा ने कहा, ‘देश में यह स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के लिए सबसे मुश्किल समय है। जब खेल फिर से शुरू होंगे, तो टेक्नोलॉजी का प्रभाव काफी तेजी से आगे बढ़ेगा।’
उन्होंने कहा कि लोग टीवी पर बेहतर अनुभव के साथ मैचों को देखना चाहेंगे। ऐसे में नई टेक्नोलॉजी को लाने का मौका है। इसके लिए कंपनियां नए एप्स और 360 डिग्री वीडियो में नए फीचर जोड़ सकती हैं। अभी प्रोडक्शन टीम में 200 से 300 लोग होते हैं। दुनियाभर में इवेंट कवर करने के लिए उन्हें साल के 250 दिन ट्रैवल करना पड़ता है।
पोंडा ने कहा कि अब ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो सकता है, जो एक जगह बैठे प्रोडक्शन टीम के पास मिली-सेकंड में लाइव वीडियो पहुंचा देगी। फिर लोग टीवी या अन्य डिवाइस पर मैच देख सकते हैं। भारत में स्पोर्ट्स में भी लोकल कंटेंट पर ध्यान दिया है। हर जगह स्थानीय भाषा में कमेंट्री पहुंचाने की कोशिश की जाती है। वीडियो स्ट्रीमिंग एप्स की वजह से यह और आसान हो गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की परेशानी
भारत की अधिक आबादी गांव में रहती है। उन्हें अभी भी इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। पोंडा ने कहा कि नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में उन्हें परेशानी हो सकती है। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। रिमोट प्रोडक्शन में कैमरा प्लेसिंग जैसे तकनीक जानने वालों की जरूरत होगी।
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from Dainik Bhaskar
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