वायरस से उबरने के बाद महीनों तक भारी थकान और सांस की तकलीफ हो सकती है: ब्रिटेन की सबसे बड़ी एजेंसी की चेतावनी

कोरोना के मरीजों में कई महीनों तक अधिक थकान और सांस लेने की तकलीफ रह सकती है। यह अलर्ट ब्रिटेन की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) ने कोरोना मरीजों के लिए जारी किया है।

एनएचएस के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोनावायरस का असर शरीर पर लम्बे समय तक रह सकता है। कोरोना से उबरने के बाद शरीर पर इसका बुरा असर कब तक रहेगा, फिलहाल इस पर रिसर्च की जा रही है।

सामान्य जीवन में नहीं लौट सकेंगे
मई में एनएचएस के वैज्ञानिकों ने कोरोना के गंभीर लक्षणों पर चर्चा की थी जिसमें स्ट्रोक, किडनी डिसीज और अंगों की घटती कार्यक्षमता पर बैठक चली थी।

बैठक में एनएचएस के वैज्ञानिकों का कहना था कि कोरोना के उबरने वाले ऐसे मरीजों की संख्या अधिक होगी जो वापस सामान्य जीवन में नहीं लौट सकेंगे।

यह मॉडल पूरे देश में लागू होगा
खासतौर पर कोरोना पीड़ितों के लिए बनाए गए एनएचएस हॉस्पिटल में पिछले सप्ताह, ऐसे मरीज रिकवर हुए जो इलाज के बाद लम्बे समय से कोरोना के असर से जूझ रहे थे।

एजेंसी का कहना है, यही मॉडल देश में अब कोरोना से उबरने वाले मरीजों के लिए अपनाया जाएगा ताकि उनकी मेंटल डिसऑर्डर, सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोगों के कॉम्पिकेशन से लड़ने में मदद की जा सके

पिछले हफ्ते भी दी थी चेतावनी
एनएचएस ने पिछले हफ्ते एक अलर्ट जारी करते हुए कहा था कि जिन लोगों के शरीर में किसी तरह का डैमेज हुआ है उन्हें रिकवर करने में हम मदद करेंगे।

एनएचएस के चीफ एग्जीक्यूटिव सिमोन स्टीवेंस का कहना है, हमारा देश महामारी की चरम स्थिति से गुजर रहा है, अब हमें इससे उबरने के बाद दिखने वाले परिणामों से बचाव के तरीकों पर काम करने की जरूरत है।

कोरोना को हराने के बाद ऐसे ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ेगी
सिमोन स्टीवेंस के मुताबिक, कोरोना से उबरने वाले मरीजों को ट्रैकियोस्टॉमी वाउंड, हृदय और फेफड़ों के डैमेज रिपेयर करने वाली थैरेपी, मसल और सायकोलॉजिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है।

वहीं, कुछ ऐसे मरीज भी हो सकते हैं जिन्हें सोशल सपोर्ट की जरूरत होगी। इसके लिए हमें तैयार रहने की जरूरत है।



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Coronavirus patients can suffer 'extreme tiredness and shortness of breath for months'


from Dainik Bhaskar

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