पाकिस्तान इस समय दोहरी चुनौती से गुजर रहा है। एक तरफ उसकी इकोनॉमी डूब रही है और दूसरी तरफ देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान इस समय दुनिया के टॉप 15 संक्रमित देशों की लिस्ट में शामिल है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक यहांकोरोना का पहला मामला 26 फरवरी को आया था। अभी पाकिस्तान में 2 लाख 17 हजार से ज्यादालोग संक्रमित हैं। जबकि 4 हजार से ज्यादा की मौत हुई है। डेट रेट लगभग 4 फीसदी है।
हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह :एक बेड के लिए 10 हजार रोगी
कोरोना का कहर झेल रहे पाकिस्तान काहेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह हो गया है। लोगों को इलाज के लिए अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है। यहां न तो पर्याप्त बेड है और न ही आईसीयू में जगह मिल रही है।डब्लूएचओ के मुताबिक लगभग 20करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में एक बेड के लिए 10 हजार रोगी हैं। वहीं देश में कुल वेंटिलेटर की संख्या सिर्फ 751 है।कराची में 2 करोड़ लोगों पर सिर्फ 600 आईसीयू बेड ही उपलब्ध हैं। इसके साथ पाकिस्तान पीपीई कीट की कमी को लेकर भी खबरें सामने आई थीं।
पाकिस्तान कोइस समय अपने कुल खर्च का 41 फीसदी कर्ज चुकाने के लिए भुगतानकरना पड़ रहा है। कोरोनाकाल से पहले से ही पाकिस्तान आर्थिक तंगी की मार झेल रहा था। उसे आईएमएफ ने 44 हजार करोड़ रुपए लोन दिया था।
साल 2017-18 में पाकिस्तान की जीडीपी 5.5 फीसदी थी। अब कोरोना के बाद साल 2020-21 में जीडीपी माइनस 1.5 फीसदी रहने का अनुमान है। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब उसे निगेटिव जीडीपी का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबकि पाकिस्तान में कोरोना की वजह से 7.4 करोड़ लोगबेरोजगार हुए हैं।
इस साल टैक्स रेवेन्यू में भी 20 फीसदी कमी
कोरोना महामारी के पहले पाकिस्तान पर 8 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बाहरी कर्ज था। अब यह आंकड़ा बढ़ गया है और आगे और ज्यादा बढ़ने का अनुमान है। हाल ही में चीन के बैंगएशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB)ने पाक को 373 करोड़ रुपए का लोन दिया। अप्रैल महीने में आईएमएफ ने इस्लामिक रिपब्लिक को 11 हजार करोड़ रुपए का इमरजेंसी लोन दिया था। इस्लामिक रिपब्लिक में चार देश - पाकिस्तान, अफगानिस्तान,मॉरीतानिया और ईरान आते हैं।
इतना ही नहीं पाक को इस साल टैक्स रेवेन्यू में भी 20 फीसदी कमी का सामना करना पड़ेगा।
कोरोनाकाल मेंडिफेंस पर फोकस, बजट में 12 फीसदी की बढ़ोतरी
इन सब के बाद भी पाकिस्तान का फोकस कोरोना पर न होकर डिफेंस पर ज्यादा है। हाल ही में इसने साल 2020-2021 के लिए बजट जारी किया है।डिफेंस के लिए 58 हजार करोड़ रुपए जारी कियाहै। पिछले साल की तुलना में डिफेंस बजट को12 फीसदी बढ़ाया है। जबकि हेल्थ के लिए पाकिस्तान ने सिर्फ 11 सौ करोड़ रु ही जारी किया है। अभी तक कोरोना से निपटने के लिए पाकिस्तान ने 316 करोड़ रुपएखर्च किए है।
डिफेंस पर खर्च में पारदर्शिता नहीं बरती
इतना ही नहीं पाकिस्तान ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) के सवालों से बचने के लिए पूरी पारदर्शिता नहीं बरती है। पाकिस्तान ने कई सारी जानकारियां छुपाई भी है। एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने न्यूक्लियर प्रोग्राम, पारा मिलिट्री , मिलिट्री के लिए पेंशनऔर हाल ही में गठित नेशनल सिक्योरिटी डिवीजन पर बेतहाशा खर्च किया है। अगर इन सब को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 88 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
आखिर डिफेंस पर ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है पाकिस्तान, इसे ऐसे समझिए..
1. सरकार में बड़े पदों पर सेना का वर्चस्व
एक दर्जन से ज्यादा मौजूदा और पूर्व सैन्य अधिकारी सरकार में बड़े पदों पर हैं। सरकारी विमानन कंपनी, बिजली नियामक और कोरोना महामारी से लड़ रहे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ जैसे विभाग सीधे तौर पर सेना के नियंत्रण में है।
2. कोरोना प्रेस ब्रिफिंग में आर्मी के ऑफिसर होते हैं शामिल
इतना ही नहीं पाक आर्मी अब देश में कोरोना पर भी निगरानी कर रही है। जब देश को कोरोना महामारी के संबंध में जानकारी दी जाती है तो इस प्रेस ब्रीफिंग में आर्मी के मौजूदा ऑफिसर भी शामिल होते हैं।
3. सेना ने की लॉकडाउन की घोषणा
पाकिस्तान में जब कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो इमरान खान ने देश को संबोधित करते हुए संयम रखने की अपील की और अगले दिन 23 मार्च कोलॉकडाउन की घोषणा सेना के प्रवक्ता ने की। ऐसा भी दावा किया जाता है कि वायरस नर्व सेंटर से योजना मंत्री असद उमर जो बयान पढ़ते हैं, वह सेना की तरफ से लिखकर दिया जाता है। इस पर सेना का लोगो भी होता है।
सेना चीफ कमर जावेद बाजवा का कद बढ़ गया है। हाल ही में उन्होंने बड़े उद्योगपतियों के साथ बैठक की थी। इस साल जनवरी में कानून में संशोधन करते हुए बाजवाको तीन साल का सेवा विस्तार भीदिया गया था।
4. क्या तख्तापलट करना चाहती है सेना
एक्सपर्ट का मानना है कि पाकिस्तान की आर्मी राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर ज्यादा खर्च करके अपना राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दायरा बढ़ाना चाहती है, अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहती है। इतना ही नहीं यह भी खबर है कि 1973 के 18वें संविधान संशोधन को पहले की तरह करने की कोशिश हो रही है। जिससे प्रांतों की फायनेंशियली ऑटोनॉमी बढ़ जाए और सरकार की घट जाए।
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के खराब प्रबंधन को लेकर भी सेना इमरान खान सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर कर चुकी है। आर्थिक तंगी और मंहगाई की वजह से आम जनता का भी सरकार से मोह भंग हो रहा है। पाकिस्तान में ऐसा पहली बार नहीं है कि आर्मी सरकार पर हावी हो रही है। इससे पहले भी यहां इस तरह की घटनाएं हो गई है। यहां 1958, 1977 और 1999 में तख्तापलट हो चुका है।
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