प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को जनता के सामने आए और देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त अनाज देने वाली योजना नवंबर तक यानी 5 महीने के लिए बढ़ा गए। मोदी जिस योजना को बढ़ाकर गए हैं, उसका नाम है- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना।
मोदी ने देश की जनता को संबोधित करते हुए 16 मिनट के भाषण में बिहार के लोकपर्व छठ का दो बार जिक्र किया। छठ का जिक्र करने केपीछे भी एक वजह और वो ये कि बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने तो जून में ही बिहार में वर्चुअल रैली कर चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी थी और अब प्रधानमंत्री मोदी भी चुनावी मूड में आ गए हैं। हालांकि, मोदी ने जिस योजना को नवंबर तक बढ़ाया है, वो अप्रैल से ही लागू हो गई है।
सबसे पहले बात, क्या है मुफ्त अनाज की योजना?
मोदी सरकार ने मार्च में कोरोनावायरस के दौर में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की शुरुआत की थी। इस पैकेज के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपए रखे गए हैं। इसी पैकेज में अन्न योजना भी शुरू हुई थी, जिसमें देश के 80 करोड़ से ज्यादा गरीबों को हर महीने 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो दाल मुफ्त देने की घोषणा की थी।
इस योजना के तहत जिन लोगों के पास राशन कार्ड है, उन्हें हर महीने ये मुफ्त अनाज उनके मौजूदा अनाज के कोटे से अलग मिलेगा। इसे ऐसे समझिए कि राशन कार्ड धारकों को पहले भी 5 किलो अनाज और 1 किलो दाल मिलती थी। हालांकि, इसके लिए उन्हें कुछ पैसे चुकाने पड़ते हैं। जबकि, अन्न योजना के तहत उन्हें मुफ्त ही मिलेगा।
अगर किसी परिवार में एक राशन कार्ड में 5 लोगों का नाम जुड़ा है। तो परिवार के हर सदस्य को अन्न योजना के तहत तो 25 किलो अनाज और 1 किलो दाल मुफ्त मिलेगी। इसके अलावा 25 किलो अनाज और 1 किलो दाल भी कुछ पैसे देकर खरीद सकते हैं।
पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन में बताया था कि इस योजना के 5 महीने बढ़ाने पर सरकार 90 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। जबकि, अप्रैल से ही गरीबों को मुफ्त अनाज मिल ही रहा है। तो इस तरह कुल 8 महीने में इस योजना पर सरकार 1.5 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
बिहार में कितने लोगों को फायदा मिलेगा?
30 मार्च को डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड डिस्ट्रीब्यूशन ने एक आदेश जारी किया था। ये आदेश देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जारी किया गया था। इस आदेश में लिखा गया था कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देशभर के 80.95 करोड़ गरीब लोगों को 3 महीने तक 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो दाल मुफ्त मिलेगी।
इस आदेश के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 15.20 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिलेगा। दूसरे नंबर पर बिहार है, जहां के 8.57 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिलेगा। यानी, देशभर में जितने गरीब लोगों को मुफ्त अनाज मिलेगा, उसका 10% हिस्सा बिहार में जाएगा।
अप्रैल से जून तक कितना अनाज बंटा?
पीआईबी के मुताबिक, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल से जून के तीन महीनों के लिए कुल 104.3 लाख मीट्रिक टन चावल और 15.2 लाख मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत थी। इसमें से 101.02 लाख मीट्रिक टन चावल और 15 लाख मीट्रिक टन गेहूं अलग-अलग राज्यों और यूटी से लिया गया था। यानी कुल 116.02 लाख लीट्रिक टन अनाज।
सरकार की तरफ से इस योजना के तहत अप्रैल में 37.02 लाख मीट्रिक टन अनाज 74.05 करोड़ (93%) लोगों को दिया गया। मई में 36.49 लाख मीट्रिक टन अनाज 72.99 करोड़ (91%) लोगों को दिया गया और जून में 28.41 लाख मीट्रिक टन अनाज 56.81 करोड़ (71%) लोगों को मिला।
चावल और गेहूं के लिए सरकार ने 46 हजार करोड़ रुपए खर्च किए थे, जिसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार ने ही उठाया था।
वहीं, तीन महीनों के लिए कुल 5.87 लाख मीट्रिक टन दाल की जरूरत थी। इसके लिए 5 हजार करोड़ रुपए का खर्च केंद्र सरकार ने ही उठाया। अप्रैल से जून तक 4.40 लाख मीट्रिक टन दाल बांटी जा चुकी है।
अभी कितना अनाज स्टॉक में है?
फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के मुताबिक, जून तक सरकार के पास 832.69 लाख मीट्रिक टन अनाज है। इसमें 274.44 लाख मीट्रिक टन चावल और 558.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं है।
चावल और गेहूं के अलावा 18 जून तक 8.76 लाख मीट्रिक टन दालें स्टॉक में थीं। इसमें 3.77 लाख मीट्रिक टन तुअर दाल, 1.14 लाख मीट्रिक टन मूंग दाल, 2.28 लाख मीट्रिक टन उड़द दाल, 1.30 लाख मीट्रिक टन चना दाल और 0.27 लाख मीट्रिक टन मसूर दाल है।
सरकार के मुताबिक, नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट यानी एनएफएसए और दूसरी योजनाओं के तहत हर महीने करीब 55 लाख मीट्रिक टन अनाज की जरूरत होती है। इस हिसाब से जून 2020 तक सरकार के पास जितना अनाज स्टॉक में है, उससे वो अगले 15 महीने तक गरीबों में अनाज बांट सकती है।
आखिरी बात, इन सबके जरिए कैसे बिहार को टारगेट कर रही है सरकार?
प्रधानमंत्री मोदी जब 30 जून को जनता को संबोधित करने आए तो उन्होंने छठ पूजा का दो बार जिक्र किया। छठ बिहार का लोकपर्व है। इसलिए ही उनके संबोधन को बिहार चुनाव की तैयारियों से जोड़ा गया।
चुनाव आयोग के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त बिहार में 7.10 करोड़ वोटर्स थे। इनमें से 4.10 करोड़ ने ही वोट डाला था। जबकि, बिहार में गरीबों की संख्या उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा है।
राज्य में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव हो सकते हैं। और नवंबर तक ही गरीबों को मुफ्त अनाज बांटा जाएगा। वहां इस योजना का जितने लोगों को फायदा मिलेगा, उनकी संख्या 8.5 करोड़ से ज्यादा है।
2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट शेयर सबसे ज्यादा 25% था। उसे 93 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। हालांकि, उस चुनाव में भाजपा राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 53 ही जीत सकी थी।
उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को 96 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। उसका वोट शेयर 24% से ज्यादा था। उसने 40 में से 17 सीटें जीती थीं।
अगर मान लें कि जिन लोगों को मुफ्त अनाज मिल रहा है, उनमें से 10% लोग ही वोटर्स होंगे, तो ये संख्या 85 लाख से ज्यादा होती है। अगर इन 85 लाख वोटर्स में से भी ज्यादातर लोग भाजपा को वोट देते हैं, तो उसे चुनाव में इसका बड़ा फायदा मिलने का अनुमान है।
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