टिक टॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस के डॉक्युमेंट्स देखकर पता चलता है कि यह एक स्टेट स्पॉन्सर्ड कंपनी है। चीन में अलीबाबा जैसी कंपनी तभी खड़ी की जा सकती है, जब वहां की सरकार मदद करे। वहां सरकार जब चाहे, तब कंपनी से डाटा मांग सकती है और कंपनी मना नहीं कर सकती।
यही टिक टॉक के मामले में भी था। इसलिए प्राइवेसी का खतरा तो था ही। यह कहना है चिंगारी ऐप के को-फाउंडर सुमित घोष का। भास्कर को स्काइप पर दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, जब डाउनलोड एकदम से बढ़े तो मैं और मेरी पूरी टीम 48 घंटे तक नहीं सोई थी। 1 करोड़ डाउनलोड हमारे लिए किसी सपने की तरह हैं। पढ़ें पूरा इंटरव्यू।
हम 48 घंटे तक सोए नहीं, जो हुआ वो अविश्वसनीय...
22 दिन में चिंगारी ऐप को 11 मिलियन बार डाउनलोड किया गया। महज 10 दिनों में 3 मिलियन डाउनलोड हुआ। क्या सिर्फ टिक टॉक का बैन होना ही इसकी वजह बना?
टिक टॉक का बैन होना एक बहुत बड़ी वजह है लेकिन टिक टॉक के बैन होने से पहले ही हमारे हाथ में ट्रैक्सन था। 10 जून से हमने ऐप की मार्केटिंग शुरू की थी और साढ़े तीन मिलियन डाउनलोड टिक टॉक बैन होने के पहले ही आ चुके थे।
इसके बाद जब टिक टॉक बैन हुआ तो वो हमारे लिए अविश्वसनीय था। हम साढ़े तीन से सीधे ग्यारह मिलियन पर पहुंच गए। इस सबसे बड़ा कारण टिक टॉक बना। अभी भी ऐप पर तीन से चार लाख डाउनलोड रोज आ रहे हैं। यूजर्स वीडियो देख रहे हैं। शेयर कर रहे हैं।
चिंगारी को बनाने की कहानी क्या है? यह किसका आइडिया था? पैसा कहां से आया ?
मैंने और बिश्वात्मा नायक ने मिलकर इस ऐप को बनाने का प्लान तैयार किया था। बिश्वात्मा प्रोग्रामर हैं, और मैं एक प्रोडक्ट-ग्रोथ का बंदा हूं। हम देश के लिए एक ऐसा ऐप बनाना चाहते थे, जिसे टियर टू और टियर थ्री में रहने वाले लोग भी इस्तेमाल कर सकें। अभी सोशल मीडिया ऐप जैसेफेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्रामअधिकतर टियर-वन सिटीज वाले लोग ही इस्तेमाल करते हैं।
हमने देखा कि अमेरिकन कंपनी का ऐप म्युजिकली बहुत पॉपुलर हो रहा था। उसे टियर टू और थ्री के लोग भी काफी पसंद कर रहे थे। यहीं से हमें शॉर्ट वीडियो वाला ऐप बनाने का आइडिया आया। फिर हमने चिंगारी को लॉन्च किया। बाद में इसमें गेम भी लाए ताकि जो लोग ऐप परआ रहे हैं, वो बोरियत महसूस न करें। इस तरह से चिंगारी ऐप बना।
148 million videos watched on Chingari platform yesterday, 3.6 million videos liked, managed to get this scale in 22 days. Lets talk about scale/retention/community #chingaripic.twitter.com/u3wzfh7Qrt
— Sumit Ghosh (@sumitgh85) July 3, 2020
जब चिंगारी के डाउनलोड्स बढ़ना शुरू हुए, तब आपका और टीम का शेड्यूल क्या था? नए यूजर्स को कैसे मैनेज कर रहे थे?
यह इवेंट एकदम से आया। इसके पहले हमारी मार्केटिंग स्ट्रेटजी एकदम अलग थी। हमने सोच रखा था कि दस मिलियन डाउनलोड होने के बाद फंडिंग जुटाएंगे। फिर 50 मिलियन और 100 मिलियन तक पहुंचेंगे। हमारी बैकएंड की टीम भी इसी हिसाब से काम कर रही थी। लेकिन टिक टॉक बैन होने के बाद एकदम से डाउनलोडिंग बहुत तेजी से बढ़ी।
मैं और मेरी पूरी टीम 48 घंटों तक तो सो भी नहीं सकी। हमलगातार काम कर रहे थे। बहुत सारी क्वेरिज आ रहीं थीं। इतना ट्रैफिक बढ़ गया था कि ऐप पर लॉग-इन भी नहीं हो पा रहा था। धीरे-धीरे सब स्मूथ होना शुरू हुआ। दो से तीन हफ्ते में ऐप का एक नया रूप आपको देखने को मिलेगा।
हालांकि, टिक टॉक बैन होने के पहले भी हमाराऐप ग्रोथ कर रहा था। 10 जून को हमारे पास 1 लाख डाउनलोड्स थे। 28 जून तक 35 लाख डाउनलोड आ चुके थे। आनंद महिंद्रा जी एक ट्वीट के बाद हमारे सीधे 10 लाख डाउनलोड बढ़े थे। हम 25 से 35 लाख पर आ गए थे। वैसे सोनम वांगचुक का वीडियो वायरल होने के बाद ही मेड इन इंडिया की लहर चल पड़ी थी। डाउनलोड्स बढ़ गए थे। फिर टिक टॉक बैन हुआ तो पूरा गणित ही बदल गया।
चिंगारी ऐप में किन देशों के निवेशकों का पैसा लगा है?
हमारे कोई भी निवेशक चीन से नहीं है। यूएस के इन्वेस्टर्स हैं।
क्या आपको लगता कि टिक टॉक ने एक नया मार्केट खड़ा किया और उसका फायदा कई स्टार्टअप्स को मिल रहा है?
हां, ये सही है। टिक टॉक ने वो कोड क्रेक किया है, जो कोई इंडियन ऐप नहीं कर पाया था। उन्होंने एक रास्ता दिया है कि बस आप इसे फॉलो कर लीजिए और खुद एक बड़ा प्लेटफॉर्म बन सकते हो।
आपके पास टिक टॉक से अलग क्या है? टिक टॉक एक डिस्रप्टिव स्टार्टअप के रूप में जाना जाता है? चिंगारी को आप किस कैटेगरी में रखेंगे?
हमारे पास बहुत कुछ इनोवेटिव है। शॉर्ट वीडियो तो हमारा मैन फोकस है। इसके साथ न्यूज, गेम है। इंगेजमेंट के लिए बहुत सी चीजें हैं। अभी मार्केट में जो ऐप हैं, उनमें और चिंगारी में बहुत बड़ा डिफरेंस हैं। हमारे पास बहुत सारी चीजें हैं, जो यूजर को चिंगारी पर बने रहने के लिए मजबूर करती हैं।
क्या आपके सर्वर इतने ज्यादा ट्रैफिक को हैंडल करने की क्षमता रखते हैं?
हमारी टीम इस पर दिन-रात काम कर रही है। अभी हमारे पास जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, उससे हम 100 मिलियन यूजर्स तक भी जा सकते हैं। आगे के लिए भी प्रिपरेशन चल रही हैं। अगले दो-तीन हफ्तों में काफी काम हो जाएगा।
टिक टॉक फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी में है। अगर उस पर बैन हटता है तो आपको लगता है कि यूजर्स चंगारी को छोड़कर जाएंगे?
यह डिपेंड करता है कि बैन हटता कितने दिनों में है। यदि यह बैन 6 से 9 महीनों में हटता है तो तब तक टिक टॉक का मार्केट इंडिया में खत्म हो चुका होगा। सारे लोग चिंगारी पर आ चुके होंगे। यूजर्स को चिंगारी की आदत पड़ चुकी होगी। फिर भी यदि टिक टॉक आता है तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।
टिक टॉक तीन महीने के अंदर भी वापस आता है तो अब हम उसे एक अच्छा कॉम्पीटिशन दे सकते हैं। हमारे साथ पूरे देश की भावनाएं जुड़ी हुई हैं कि ये भारत का ऐप है। इसे सफल बनाना है। हालांकि, ऐप में थोड़ी बहुत प्रॉब्लम्स अभी आ रही हैं, जिन्हें बहुत जल्दी ठीक कर लिया जाएगा।
क्या टिक टॉक का डाटा चीनी सरकार के पास जा रहा था, आपको क्या लगता है?
कंपनी के कुछ डॉक्युमेंट्स से साबित होता है कि यह एक स्टेट स्पॉन्सर्ड कंपनी है। चीन में तो आपको कोई बड़ा ऑर्गनाइजेशन खड़ा करना है तो वह स्टेट की मदद के बिना हो ही नहीं सकता क्योंकि वह एक कम्युनिस्ट देश है। वहां की सरकार किसी भी चीनी कंपनी से कभी भी डाटा ले सकती है। हमारे देश के लिए भी कई विभाग टिक टॉक पर थे। आईबी ने खुद इस बारे में मिनिस्ट्री को अलर्ट किया है कि ये देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है। प्राइवेसी का खतरा तो है ही।
क्या यह सब आपके लिए किसी सपने की तरह है?
जी हां, बिल्कुल। दुनिया में ऐसा कभी नहीं हुआ कि 6 लाख डाउनलोड प्रति घंटे आ रहे हों। मार्क जुकरबर्ग ने भी फेसबुक की ऐसी ग्रोथ नहीं देखी होगी। ये किसी सपने का सच होने जैसा है।
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