'राधिका आप्टे का कई फिल्‍मों में ऑडिशन लिया है मगर नवाजुद्दीन का कभी नहीं लिया'- रात अकेली है फिल्म डायरेक्टर हनी त्रेहान

हफ्ते भर के अंतराल में इंडस्‍ट्री से दो बड़े कास्टिंग डायरेक्‍टरों का बतौर डायरेक्‍टर डेब्‍यू हुआ है। मुकेश छाबड़ा ने पिछले हफ्ते ‘दिल बेचारा’ दी थी। 31 को हनी त्रेहान ‘रात अकेली है’ लेकर आए हैं। हनी ने दैनिक भास्‍कर से बातचीत के दौरान फिल्म की मेकिंग और कास्टिंग से जुड़ी बातें शेयर की हैं।

-इसका आईडिया कैसे आया था?

इसका आईडिया मुझे नहीं आया था। इसे स्मिता सिंह ने लिखा था। उनकी स्क्रिप्‍ट अच्‍छी लगी थी। कहानी जिस कल्‍चर में सेट है, मैं वहीं का पला बढ़ा हूं। इस तरह के किरदारों और पृष्‍ठभूमि को अच्‍छे से जानता हूं। तभी इसे डायरेक्‍ट करने का मन बनाया।

- इसका टाइटल 'रात अकेली है' रखने के पीछे क्या वजह थी?

इसका टाइटिल स्मिता ने ही तय किया था। मेरी फिल्‍म में रात बहुत अहम किरदार निभा रही है। ज्‍यादातर घटनाक्रम रात में ही घट रहे हैं। रात का अपना एक्‍सप्रेशन है। हर किसी को आजादी देता है कि रात को कैसे इन्‍टरप्रेट करना है। इसे जब हम बोलते हैं तो एक मूड है इसमें।

- बतौर डायरेक्टर आप की ग्रूमिंग किनसे हुई है?

प्रैक्टिली कहें तो विशाल भारद्वाज मेरे मेंटर और गुरू हैं। इसका पहला बीज वैसे बैरी जॉन ने मुझमें डाला था। तब मैं विशाल सर से मिला। उन्‍होंने मुझे गाइड किया। हमेशा मदद की कि न केवल अच्‍छा डायरेक्‍टर बनूं, बल्कि बेहतर इंसान भी।

फिल्म डायरेक्टश की तैयारी कब से चल रही थी?

मेरी तो तैयारी डायरेक्‍टर बनने की ही थी। दिल्‍ली के थिएटर के दिनों में मैं प्‍ले डायरेक्‍ट किया करता था विशाल सर के साथ। मैं उनका असिस्‍टेंट था। उन्‍होंने ही मुझसे कहा था कि मैं उनकी फिल्‍मों की कास्टिंग भी करूं। बतौर कास्टिंग डायरेक्‍टर ही उन्‍होंने मुझे क्रेडिट देना भी शुरू किया। उन्‍हीं दिनों की बात है, जब मुकेश छाबड़ा को मैंने असिस्‍टेंट लिया था। ‘ब्‍लू अंब्रेला’ और ‘कमीने’ वगैरह पर उन्‍होंने मुझे असिस्‍ट किया था। मुझे उस वक्‍त से ही पता था कि मुकेश भी डायरेक्‍शन में आना चाहते हैं। मुकेश की उन दिनों भी एनएसडी में जॉब थी। वह बच्‍चों के साथ थिएटर और प्‍ले डायरेक्‍ट किया करते थे। वह भी बड़ी खूबसूरती से अपने भीतर के डायरेक्‍टर को ला पाए हैं।

- कब डिसाइड किया कि फिल्म को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ले जाना है?

हम लोग तो थिएटर में ही आना चाहते थे, पर पेंडेमिक आ गया। सिनेमाहॉल के खुलने के आसार कम ही लगे। उसी वक्‍त नेटफ्ल‍िक्‍स वालों ने भी इसे देखा। उन्‍हें अच्‍छी लगी और उन्‍होंने कहा कि इसे वर्ल्‍ड प्रीमियर करते हैं। इससे अच्‍छी बात और हो भी क्‍या सकती है, जब आप की फिल्‍म कंप्‍यूटर या मोबाइल के एक क्लिक पर 190 देशा में देखी जा सकती है।

स्टार कास्ट और डेब्‍यू डायरेक्‍टर के तौर पर देखा जाए तो यह छोटी फिल्‍म है। इसका भविष्‍य सुरक्षित है कि नहीं, वह एक बड़ा सवाल था। उस मोर्चे पर एक अनचाहा सा कंपीटिशन था जरूर। तो ओटीटी के आने से एक फायदा हुआ है। वह यह कि यहां स्‍टार की फिल्‍में भी आ रही हैं। पर यहां फिल्‍में अपनी मेरिट और कंटेंट पर अपने नाम का डंका बजाती हैं। यहां सिर्फ स्‍टार की वजह से फिल्‍में नहीं चलेंगे। किसी भी तरह के कंटेंट को उनका ड्यू क्रेडिट ओटीटी प्‍लेटफॉर्म दिलाएंगे।

-क्या नवाज़- राधिका जैसे एक्टर के ऑडिशन की जरूरत नहीं पड़ती?

इस फिल्‍म के लिए तो कभी नहीं लिया। मैंने नवाज को किसी दूसरी फिल्‍मों के लिए भी ऑडिशन नहीं लिया। राधिका का जरूर मैंने किन्‍हीं दूसरी फिल्‍मों के लिए ऑडिशन लिया है।

-थोड़ी क्रूरता दिखाई गई है उस पर नेटफ्लिक्स वालों का क्या टेक था?

क्रूरता हमारी सोसाइटी का हिस्‍सा है। उसे दिखाने में मैं नहीं हिचकूंगा। मुझे लगता है कि उस हेंचमैन की जिंदगी की सच्‍चाई भी है। हेंचमैन को फिल्‍म में आप दो बार देखते हो। एक बार शुरू में और दूसरी बार इंटरवल पॉइंट पर। सवा घंटे के अंतराल के बाद दोबारा देखने पर हेंचमैन इसलिए ही याद रहता है कि वह क्रूर था।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
'Radhika Apte has auditioned in many films but never taken Nawazuddin' - Night alone is film director Honey Trehan


from Dainik Bhaskar

Post a Comment

0 Comments