बिहार में चुनाव है और दीवाली से पहले नई विधानसभा का गठन भी हो जाएगा। एक सवाल आपसे, आप इस बार कैसी विधानसभा चाहते हैं? आपका जवाब शायद यही होगा कि ऐसी विधानसभा जिसमें साफ छवि के जमीनी नेता हों। लेकिन, पिछले तीन विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो पता चलता है कि आप ऐसी विधानसभा तो नहीं चुन रहे।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट बताती है कि 2015 में जितने विधायक चुनकर आए थे, उनमें से 57% यानी 142 पर आपराधिक मामले दर्ज थे, जो 2010 के मुकाबले 10% ज्यादा थे। 2010 में 141 दागी विधायक थे। 2005 में ऐसे 117 विधायक थे।
दागी विधायकः सबसे ज्यादा राजद के विधायकों पर आपराधिक मामले
2015 में हुए विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा 46 दागी विधायक राजद से चुनकर आए थे। उसके बाद जदयू के 37 और भाजपा के 34 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। कांग्रेस के 27 में से 16 विधायक दागी थे।
करोड़पति विधायकः 2015 में जदयू के 71 में से 53 विधायक करोड़पति थे
पिछले विधानसभा में चुनकर आए 243 विधायकों में से 162 विधायक ऐसे थे, जिनके पास 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति थी। सबसे ज्यादा करोड़पति विधायक जदयू के थे। जदयू के 71 में से 53 यानी 75% विधायक करोड़पति थे।
पिछली तीन विधानसभा में करोड़पति विधायकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अक्टूबर 2005 में हुए विधानसभा चुनावों में 8 करोड़पति विधायक जीतकर आए थे, जिनकी संख्या 2010 में बढ़कर 48 हो गई।
महिला विधायकः तीन चुनावों से महिला विधायकों की संख्या घट रही
बिहार विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या भी लगातार घट रही है। अक्टूबर 2005 में 35 महिलाएं विधायक बनी थीं। 2010 के चुनाव में इनकी संख्या घटकर 34 हो गई। जबकि, 2015 में तो 28 महिला विधायक ही रहीं। यानी अभी विधानसभा में सिर्फ 11.5% महिला विधायक हैं।
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from Dainik Bhaskar
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