ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में दावा किया गया है कि इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (आईओसी) द्वारा बड़े बदलाव नहीं किए जाने की वजह से पिछले कुछ समय में गेम्स में बजट से कहीं ज्यादा खर्च हो रहे हैं। 1960 के बाद से खेलों पर बजट से औसतन 172 प्रतिशत ज्यादा खर्च हुए हैं। टोक्यो ओलिंपिक पर अभी तक 13 बिलियन डॉलर (करीब 96 हजार करोड़ रु) अधिक खर्च हुए हैं, जो शुरुआती बजट से कहीं ज्यादा है।
कोरोना की वजह से खेल को एक साल आगे बढ़ाया गया है। आईओसी द्वारा बिडिंग प्रक्रिया के पूरे होने से पहले ही 2024 और 2028 के ओलिंपिक का आयोजन पेरिस और लॉस एंजिल्स को दे दिया गया था।
अभी के समय में बदलाव की जरूरत
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मेजर प्रोग्राम मैनेजमेंट के प्रोफेसर और अध्यक्ष बेंट फ्लावजर्ज ने कहा कि अभी के समय में बदलाव की जरूरत है। पिछले 25 सालों में आईओसी ने इन्वेंशन और इंटेलिजेंस को बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया है। क्योंकि उन्हें इवेंट के लिए खर्च नहीं देना पड़ता। मेजबान शहर को खेलों के खर्च की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। आईओसी की तरफ से उन्हें 1 बिलियन डॉलर (करीब 7 हजार करोड़) की राशि मिलती है।
आईओसी का बर्ताव लापरवाही भरा
फ्लावजर्ज ने कहा कि इस मुद्दे पर आईओसी का बर्ताव लापरवाही भरा रहा है। दूसरी तरफ ओलिंपिक कमेटी का कहना है कि उन्होंने रिसर्च नहीं देखी है। उनकी तरफ से बयान जारी कर कहा गया, 'रिसर्चर्स ने पिछले कुछ वर्षों में आईओसी से किसी भी तरह के डेटा का अनुरोध नहीं किया है।
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