बिग बजार, एफबीबी और इजी डे के बारे में आप ने भी सुना होगा। देशभर में इन स्टोरों की संख्या एक हजार 800 है। 428 शहरों में फैले ये स्टोर फ्यूचर रिटेल के हैं। इन्हें अब रिलायंस की रिटेल विंग ने खरीद लिया है। फ्यूचर रिटेल की शहरों में पकड़ और कस्टमर बेस बहुत मजबूत है। खासकर ग्रॉसरी और फैशन के क्षेत्र में फ्यूचर ग्रुप अच्छा काम कर रहा था।
ऐसे में आपके मन में सवाल उठेगा कि जब ग्रुप अच्छा काम कर रहा था तो इसके बिकने की नौबत क्यों आई? ऐसा क्या हुआ जो फ्यूचर ग्रुप को इन्हें बेचना पड़ा? तो उसके पीछे की वजह है कर्ज। फिर सवाल ये उठता है कि जिस फ्यूचर रिटेल पर करीब 15 हजार करोड़ का कर्ज है, उसे रिलायंस ने क्यों खरीदा?
जबकि देश में रिलायंस रिटेल के पहले से ही 12 हजार स्टोर हैं। इस रिपोर्ट में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि फ्यूचर ग्रुप का सफर कैसा रहा, कंपनी के बढ़ने के साथ कर्ज कैसे बढ़ता गया और रिलायंस रिटेल का इस क्षेत्र में क्या हाल है।
2018-19 में फ्यूचर रिटेल ने 107 नए शहरों में स्टोर खोले
2015-16 में फ्यूचर रिटेल के 221 शहरों में 738 स्टोर थे। यह वो दौर था, जब ऑनलाइन रिटेल बहुत तेजी से कस्टमर अपनी तरफ जोड़ रहा था। फ्यूचर रिटेल ने अपने ऑफर से न केवल कस्टमर बेस तेजी से बढ़ाया। 2017-18 तक इसके 321 शहरों में एक हजार से ज्यादा स्टोर थे। फ्यूचर रिटेल ने टियर थ्री और टियर फोर शहरों को टारगेट किया। 2018-19 में इसे सबसे बड़ा बूम मिला। इस साल फ्यूचर रिटेल 107 नए शहरों तक पहुंचा। साथ ही करीब 500 नए स्टोर खोले गए।
चार साल में तीन गुना हुई आमदनी
फ्यूचर ग्रुप की आमदनी साल-दर-साल बढ़ रही थी। लेकिन, ये कंपनी के निवेश और नए इन्फ्रास्ट्रक्चर की तुलना में बहुत कम थी। 2015-16 की तुलना में 2016-17 में कंपनी की इनकम करीब 150% बढ़कर 17 हजार करोड़ से ज्यादा हो गई। इयर ऑन इयर ग्रोथ के हिसाब से यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा था। लेकिन, अगले साल कंपनी की आमदनी में सिर्फ 8% की ग्रोथ हुई। इसी साल कंपनी ने 81 शहरों में 134 नए स्टोर खोले थे, यानी आमदनी कम और निवेश ज्यादा।
लागत और मुनाफे के बीच का अंतर बढ़ता गया
2015-16 की तुलना में 2016-17 में कंपनी का टैक्स के बाद का मुनाफा करीब 26 गुना बढ़ा। लेकिन, 2017-18 में यह पिछले साल का सिर्फ 3% रह गया। 2018-19 में कंपनी का मुनाफा फिर से बढ़ गया। यानी जिस साल कंपनी ने बल्क में इन्वेस्ट किया, उस साल कंपनी का मुनाफा घट गया। यानी लागत और मुनाफे के बीच का अंतर बढ़ता गया। किसी भी कंपनी के फिजिकल डेफिसिट में इतना बड़ा फ्लेक्चुएशन सही नहीं माना जाता।
रिलायंस रिटेल ने फ्यूचर रिटेल को क्यों खरीदा?
रिलायंस रिटेल के पास 12 हजार स्टोर हैं। इनका सालाना रेवेन्यू लगभग 160 हजार करोड़ है। उसके बाद भी रिलायंस ने 15 हजार करोड़ के कर्ज वाले फ्यूचर ग्रुप को क्यों खरीदा? इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि फ्यूचर रिटेल ने फैशन और ग्रॉसरी मार्केट में मजबूत पकड़ बना ली थी। जबकि, रिलायंस जियो स्टोर, रिलायंस रेसQ और रिलायंस डिजिटल की पकड़ इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट में है। रिलायंस रिटेल में इसका मार्केट शेयर 61% है। इसके साथ ही रिलायंस रिटेल में सबसे अच्छी ग्रोथ ग्रॉसरी और फैशन की है। फ्यूचर रिटेल का मार्केट बेस मिलने से इसके और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
वहीं, दूसरी ओर रिलायंस रिटेल की पकड़ ज्यादातर बड़े शहरों में है, इसके ज्यादातर स्टोर मॉल में हैं। रिलायंस इस डील से छोटे शहरों तक कम समय में पहुंचेगा। साथ ही ग्रॉसरी और फैशन में अपने कस्टमर बेस को मजबूत करेगा।
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from Dainik Bhaskar
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