चुनावी फंड के मामले में डोनाल्ड ट्रम्प कुछ वक्त पहले तक जो बाइडेन से आगे थे। यह उनके लिए फायदेमंद था। ठीक वैसे ही जैसे 2012 में बराक ओबामा और 2004 में जॉर्ज बुश के कैम्पेन में हुआ था। 2016 में प्रचार के दौरान ट्रम्प ने काफी खर्च किया था। इस चुनाव की शुरुआत में भी वे मजबूत दिखाई दे रहे थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
80 करोड़ डॉलर खर्च
जब ये माना जा रहा था कि जो बाइडेन डेमोक्रेट कैंडिडेंट होंगे, तब रिपब्लिकन पार्टी के पास 20 करोड़ डॉलर का कैश एडवांटेज था। अब उनकी बढ़त खत्म हो चुकी है। 2019 में कैम्पेन की शुरुआत से जुलाई तक ट्रम्प की कैम्पेन टीम के पास 110 करोड़ डॉलर (8126 करोड़ रुपए) थे। इसमें से 80 करोड़ डॉलर खर्च हो चुके हैं। अब उनकी टीम के कुछ लोगों को डर सता रहा है कि चुनाव में करीब दो महीने बचे हैं और कैश की दिक्कत सामने आ गई है।
कैम्पेन मैनेजर बदलना पड़ा
जुलाई तक ब्रैड पार्सकेल ट्रम्प के कैम्पेन मैनेजर थे। जुलाई में उनकी जगह बिल स्टेपिन को लाया गया। ब्रैड के मुताबिक, ट्रम्प की चुनाव मशीनरी को रोका नहीं जा सकता। लेकिन, राष्ट्रपति के कुछ पुराने और नए सहयोगी कहते हैं कि पैसा पानी की तरह बहाया गया। स्टेपिन के आने के बाद खर्च पर कुछ रोक लगाई गई। प्रचार की रणनीति में जरूरी बदलाव किए गए। पार्सकेल के कार्यकाल में 350 मिलियन डॉलर खर्च हुए। यह जुलाई तक खर्च हुए 80 करोड़ डॉलर का तकरीबन आधा है। इस दौरान नए डोनर नहीं मिले। कानूनी मामलों पर बेतहाशा खर्च हुआ। टीवी विज्ञापन का खर्च ही 10 करोड़ डॉलर के पार हो चुका है।
गैरजरूरी खर्च पर सवाल
सुपर बाउल के दो मुकाबलों को प्रचार का जरिया बनाया गया। इस पर 1.1 करोड़ डॉलर खर्च हुए। ये कुछ राज्यों में टीवी विज्ञापन पर खर्च रकम से ज्यादा है। महंगे कन्सलटेंट्स हायर किए गए। इन पर 15.6 लाख डॉलर खर्च हुआ। सेलफोन रखने के लिए मैग्नैटिक पाउच बनाने वाली योंडर कंपनी को ही 11 लाख डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। इसका मकसद यह था कि डोनर्स चुपचाप ट्रम्प की बातें रिकॉर्ड न कर लें।
एडवाइजर्स ने भी पैसा उड़ाया
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व कैम्पेन मैनेजर पार्सकेल ने कार भी खरीदी और ड्राइवर भी रखा। ये गैरजरूरी था। जब स्टेपिन कैम्पेन मैनेजर बने तो ट्रम्प ने उनकी तारीफ की। कहा- वे कम सैलरी पर आए हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं- ट्रम्प का कैम्पेन मैनेजमेंट सही नहीं है। अब स्थिति यह है कि बाइडेन फंड जुटाने में उनसे आगे निकल गए हैं। बाइडेन ने सिर्फ अगस्त में ही 365 मिलियन डॉलर चंदा जुटाया। हालांकि, ट्रम्प कैम्पेन टीम ने अगस्त का आंकड़ा अब तक जारी नहीं किया।
गलती पूर्व मैनेजर की
रिपब्लिकन पार्टी के सीनियर मेंबर एड रोलिन्स कहते हैं- 80 करोड़ डॉलर खर्च कर देंगे और 10 प्वॉइंट पीछे रहेंगे तो सवाल भी उठेंगे और जवाब भी देना होगा। पूर्व मैनेजर ने किसी नशेड़ी की तरह पैसा उड़ाया। पार्सकेल बचाव में कहते हैं- 2016 में भी मैंने ऐसे ही कैम्पेन चलाया था। हालांकि, हकीकत यह है कि पार्सकेल पिछले चुनाव में कैम्पेन मैनेजर थे ही नहीं। नए मैनेजर स्टेपिन ने 5.3 करोड़ के दो प्रस्ताव खारिज कर दिए। स्टाफ मेंबर्स सिर्फ बेहद जरूरी यात्रा ही कर सकेंगे। एयरफोर्स वन में सफर करने का लोगों को लालच होता है, इस पर भी अंकुश लगाया गया है।
हर दिन बजट देखना होता है
स्टेपिन कहते हैं- सबसे जरूरी होता है कि हर दिन बजट चेक किया जाए। स्टेपिन का दावा है कि चुनाव जीतने के लिए जरूरी बजट मौजूद है। लेकिन, इसकी जानकारी वे नहीं देते। अगस्त के आखिरी दो हफ्तों में बाइडेन ने टीवी विज्ञापन पर 3.59 करोड़ डॉलर, जबकि ट्रम्प ने सिर्फ 48 लाख डॉलर खर्च किए। ट्रम्प के एक सहयोगी जेसन मिलर कहते हैं- हम पैसा बचाकर रखना चाहते हैं ताकि आखिरी दौर में पूरी ताकत से प्रचार कर सकें। कोरोना जब चरम पर था तब बाइडेन ने प्रचार पर बेहद कम खर्च किया। ट्रम्प ने ऐसा नहीं किया।
आगे क्या होगा
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आखिरी दो महीनों में काफी पैसा आएगा। टीवी विज्ञापन पर खर्च कम होगा। ऑनलाइन फंडिंग बढ़ेगी। डोर टू डोर कैम्पेन पर फोकस किया जाएगा। बाइडेन की टीम यह काम पहले से कर रही है। उसने कम जनसंख्या वाले राज्यों में यही रणनीति अपनाई। पार्सकेल ने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ही 8 लाख डॉलर उड़ा दिए। अब ये बंद हो गए हैं। पार्सकेल कहते हैं- ये ट्रम्प के परिवार का आईडिया था। विस्कॉन्सिन में 39 लाख, मिशिगन में 36 लाख, आयोवा में 20 लाख और मिनेसोटा में 13 लाख डॉलर टीवी विज्ञापन पर खर्च हुए।
एक दलील ये भी
रिपब्लिकन पार्टी के एक सदस्य कहते हैं- पैसा कमाने के लिए, पैसा खर्च करना पड़ता है। जुलाई में 2016 में ट्रम्प ने 16.5 करोड़ डॉलर जुटाए थे। कैम्पेन मैनेजमेंट देखने वाली दो कंपनियों को ही पिछले साल 3 करोड़ डॉलर पेमेंट किया गया। पहले रिपब्लिकन पार्टी अपना कन्वेन्शन एमेलिया आईलैंड में करना चाहती थी। इसके लिए रिट्ज कार्लटन को 3.25 लाख डॉलर पेमेंट कर दिया गया था। अब ट्रम्प कैम्पेन को उम्मीद है कि ये पैसा उन्हें वापस मिल जाएगा।
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