(पवन कुमार) सुप्रीम काेर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। अपने अंतिम फैसले में उन्होंने मंगलवार काे उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग को नुकसान से बचाने के लिए आदेश जारी किए। मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश और शिवलिंग के बचाव के लिए गाइडलाइन जारी की। जस्टिस मिश्रा ने भगवान शिव को याद करते हुए अपने साथी जजों से कहा कि महादेव की कृपा से ये आखिरी फैसला भी हो गया।
सोमवार को उन्होंने प्रशांत भूषण अवमानना केस समेत चार मामलों में फैसला सुनाया था। 7 जुलाई 2014 को सुप्रीम कोर्ट में जज बने अरुण मिश्रा बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार देने जैसे कई अहम फैसले सुना चुके हैं।
दरअसल, महाकालेश्वर मंदिर में पूजा और भस्म आरती की वजह से शिवलिंग को हो रहे नुकसान को लेकर 2017 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसमें शिवलिंग को नुकसान से बचाने के लिए गाइडलाइन जारी करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने मामले में पूजा-पद्धति को लेकर कई दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि श्रद्धालु मंदिर में आधा लीटर से ज्यादा जल नहीं चढ़ाएंगे, जल केवल आरओ का होना चाहिए। भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूती कपड़े से ढका जाए।
अभिषेक के लिए श्रद्धालु सीमित मात्रा में ही दूध व पंचामृत चढ़ाएंगे। मंदिर के गर्भगृह में पंखे लगवाए जाएं। खांडसारी का प्रयोग हो और शाम 5 बजे के बाद मंदिर में केवल सूखी पूजा हो। कोर्ट ने भस्म आरती पर भी पाबंदी की बात कही थी। मगर बाद में कोर्ट ने कहा था कि भगवान की पूजा अर्चना और सेवा भोग कैसे हो, यह तय करना कोर्ट का काम नहीं है। यह तय करने की जिम्मेदारी मंदिर प्रबंधन की है।
विदाई समारोह से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा उनके विदाई समारोह को आयोजित करने के अनुरोध को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के मद्देनजर वे अपना विदाई समारोह आयोजित नहीं करना चाहते। उनकी अंतरात्मा इसकी अनुमति उन्हें नहीं दे रही है। जस्टिस अरुण मिश्रा 2 सितंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। मंगलवार को उनके कार्यकाल का आखिरी कार्यदिवस था।
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