पूर्वी लद्दाख में सीमा पर कब्जा जमाकर बैठी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को भारतीय सेना ने उसकी ही भाषा में करारा जवाब दिया है। शनिवार यानी 29 अगस्त की रात को जो घटनाक्रम हुआ, उस पर हो रही बयानबाजी से यह साफ है कि इस बार भारतीय सेनाओं ने काउंटर स्ट्राइक की है। यह बात चीन के विदेश मंत्रालय और सेना के बयानों में भी झलक रही है।
अलग-अलग रिपोर्ट्स में कई जानकारी सामने आई है। लेकिन, जो बयान सामने आए हैं, उसके आधार पर हम 10 बिंदुओं से आपको वह सबकुछ बताने की कोशिश कर रहे हैं जो भारत और चीन की सीमा पर अब तक हुआ है।
MoD statement on recent situation in Ladakh pic.twitter.com/Om3w6xkiRG
— Indian Defence (@IndianDefenceRA) August 31, 2020
- पूर्वी लद्दाख के जिस इलाके में अभी दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष की बात सामने आई है, वह पैंगॉन्ग झील का है। इस पैंगॉन्ग झील के ही एक हिस्से में चीनी सेना ने चार महीने पहले कब्जा कर लिया था। चीनी सैनिक फिंगर-4 और 8 के बीच 8 किमी के इलाके में पोजिशन मजबूत कर ली है। झील में पर्वतों से आने वाले स्पर्स को मिलिट्री की भाषा में फिंगर्स कहते हैं। चीन की सेना ने इस इलाके में नए बंकर बना लिए हैं। भारत ने चीन को पैंगॉन्ग से अपनी सेनाएं वापस बुलाने को कहा है, लेकिन चीन ऐसा कर नहीं रहा।
- मई में हुई चीनी घुसपैठ के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्री से लेकर विशेष प्रतिनिधि स्तर तक बातचीत हो चुकी है। लेकिन नतीजा कोई नहीं निकला है। 29 अगस्त की रात को चीनी सेना पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी इलाके में पहाड़ियों पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़े थे, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोक दिया। साथ ही, पहली बार भारतीय सेना ने इस इलाके में पहाड़ों की चोटियों पर कब्जा कर लिया है, जहां वे स्ट्रेटिजिक लाभ की स्थिति में है।
- चीनी सेना ने घुसपैठ की कोशिश की थी और ब्लैक टॉप और हेलमेट के पहाड़ी इलाकों में सैनिकों को तैनात किया था। लेकिन 29 और 30 अगस्त की रात को भारतीय सैनिकों ने इन दोनों ही स्ट्रेटिजिक महत्व के ठिकानों को अपने कब्जे में ले लिया है। चीन ने एलएसी पर भारतीय सीमा में स्थित थाकुंग में भारतीय बेस के करीब तक अपनी सेना को तैनात कर दिया है। इसका भारत बार-बार विरोध कर रहा है।
- यदि भारत में चीन के राजदूत का बयान देखें तो उसका आरोप है कि भारतीय सेना ने एलएसी पर रेचिन ला इलाके में कब्जा कर लिया है। वहीं, इस पर भारत का कहना है कि रेचिन ला भारत में स्थित रेजांग ला से ढाई-तीन किमी दूर है। यह भारत में है, चीन में नहीं। भारत ने तो साफ-साफ कह दिया है कि चीनी सेना की घुसपैठ की कोशिश को भारतीय सेना ने नाकाम किया है। हालांकि, मंगलवार को भी दोनों देशों के ब्रिगेड कमांडर स्तर के सैन्य अफसरों के बीच बातचीत हुई। इसमें भी कोई हल नहीं निकला है।
- पहली बार, चीन से लगी सीमा के मोर्चे पर भारत प्रभावी स्थिति में है। इसका असर यह है कि भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि चीनी सैनिकों को भारतीय सैनिकों ने घुसपैठ से रोका। साथ ही चीन को दो-टूक शब्दों में अपने फ्रंटलाइन सैनिकों को अनुशासन में और नियंत्रित रखने की नसीहत भी दे दी। श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि भारत पीछे हटने वाला नहीं है। एलएसी पर सभी संवेदनशील जगहों पर आक्रामकता के साथ कार्रवाई करेगा और चीन के हर दुस्साहस का मजबूती से जवाब देगा।
- वहीं, चीन की ओर से आने वाले बयान नरमी वाले और हास्यास्पद नजर आ रहे हैं। बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने 1962 के युद्ध को ही झुठला दिया। उन्होंने कहा कि 70 साल के नए चीन के इतिहास में उनके देश ने कभी भी किसी भी देश की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं किया है। भारत के साथ सीमा को लेकर कुछ विवाद है, लेकिन उसे दोनों पक्ष जिम्मेदारी के साथ सुलझा सकते हैं।
- इस बीच, यह भी खबर चर्चा में है कि एलएसी पर पहाड़ों पर भारतीय सेना के कब्जे से चीनी सेना बौखला गई है। एक तो उसने पहाड़ों पर सर्विलांस के लिए कैमरे लगा रखे थे। इसके बाद भी भारतीय सेना ने उन कैमरों को चकमा देते हुए गोपनीय तरीके से कार्रवाई की और पहाड़ों की चोटियों कब्जा जमा लिया। यहां से एक और बड़ा फायदा यह है कि चीनी सेना की सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। अब स्ट्रेटिजिक स्तर पर भारत फायदे की स्थिति में है।
- खबरें यह भी आ रही हैं कि भारतीय सेना ने चुशुल सेक्टर में रेजांग ला और रेकिन ला में अतिरिक्त जवानों को तैनात किया है। इससे भी चीन को परेशानी हो रही है। इसे लेकर न केवल दिल्ली में बल्कि बीजिंग में भी चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत के सामने अपनी आपत्ति उठाई है। सूत्रों के मुताबिक, टी-90 टैंक्स की रेजिमेंट भी स्पांगुर पास के पास तक पहुंच गई है। कुछ समय पहले ही थाकुंग पोस्ट पर चीनी सेना को बंकर बनाने से भारतीय सैनिकों ने रोका था।
- भले ही भारत और चीन अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कह रहे, लेकिन चीन में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के टैब्लॉइड ग्लोबल टाइम्स ने सच लिख ही दिया। उसके अनुसार भारत ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी हिस्से पर कब्जा कर लिया है। अब इसका लाभ उठाकर वह चीन पर पैंगॉन्ग झील के अन्य हिस्सों से पीछे हटने को मजबूर कर सकता है। इससे भारत की बार्गेनिंग पॉवर बढ़ गई है।
- एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि बुधवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मॉस्को जा रहे हैं। शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों के रक्षामंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे। वहां चीन के रक्षामंत्री भी पहुंच रहे हैं। दोनों के बीच द्विपक्षीय बातचीत का कोई प्लान फिलहाल नहीं है। वहीं, रूस में चीन और पाकिस्तान समेत कई देशों की सेनाओं ने युद्धाभ्यास किया, लेकिन भारत ने इसमें भाग नहीं लिया। जब मॉस्को में यह सब हो रहा है, तब भारतीय सेना की पैंगॉन्ग झील पर की गई कार्रवाई स्पष्ट संकेत है कि बात यहीं पर रुकने वाली नहीं है।
Raksha Mantri Shri @rajnathsingh will leave for Moscow tomorrow on a three day visit to Russia. He will attend the Shanghai Cooperation Organization (SCO) Defence Ministers’ meeting during his visit.
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) September 1, 2020
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from Dainik Bhaskar
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