सफलता के लिए सिर्फ फिट रहना और बेहतर आईक्यू लेवल का‌फी नहीं, एक्सपर्ट से जानिए उन गलतियों के बारे में, जो कैंडिडेट्स को SSB से बाहर कराती हैं

UPSC ने 6 सितंबर को आयोजित हुई नेशनल डिफेंस एकेडमी ( NDA) और नवल एकेडमी की परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया है। सिलेक्ट होने वाले कैंडिडेट्स को अब इस भर्ती प्रक्रिया की सबसे ज्यादा चैलेंजिंग स्टेज से गुजरना होगा। जिसका नाम है एसएसबी इंटरव्यू। इस स्टेज में फिजिकल टेस्ट के साथ मेंटल एबिलिटी से जुड़े विभिन्न टेस्ट, ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू भी शामिल होता है।

आमतौर पर यही समझा जाता है कि एसएसबी क्लियर करने के लिए बेहतर आईक्यू लेवल और कैंडिडेट का फिट रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। ये पूरी तरह सही नहीं है। सिलेक्शन बोर्ड में रह चुके सदस्यों की मानें तो फिटनेस और आईक्यू लेवल के अलावा ऐसे कई फैक्टर हैं, जो एसएसबी से कैंडिडेट्स को बाहर कराते हैं। और अधिकतर कैंडिडेट्स को इनके बारे में पता ही नहीं होता।

क्या है SSB?

भारतीय जल, थल और वायु सेना में अधिकारियों के पद पर भर्ती के लिए यूपीएससी द्वारा NDA, CDS और AFCAT परीक्षा आयोजित की जाती हैं। NDA परीक्षा में 11वीं पास कैंडिडेट्स आवेदन कर सकते हैं। वहीं CDS और AFCAT परीक्षा ग्रेजुएट कैंडिडेट्स के लिए होती है। तीनों परीक्षाओं में सिलेक्शन की प्रक्रिया एक ही है। लिखित परीक्षा पास करने के बाद कैंडिडेट्स को एसएसबी इंटरव्यू क्लियर करना होता है।

सर्विस सिलेक्शन बोर्ड ( SSB) ही तय करता है कि भविष्य में आप भारतीय सेना की अलग-अलग विंग्स में से किसी एक में ऑफिसर बनने के काबिल हैं या नहीं। इसी बोर्ड के पूर्व सदस्य कर्नल अशोकन के मुताबिक, हर छह महीने में होने वाली NDA परीक्षा के लिए लगभग 3 लाख और सीडीएस के लिए 5 लाख कैंडिडेट्स आवेदन करते हैं।

आवेदन करने वाले छात्रों में से 3-4 प्रतिशत डिफेंस करियर में अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं। अगर आपने भी एनडीए की लिखित परीक्षा पास की है, या फिर इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो एसएसबी के उन स्टेप्स के बारे में आपको पता होगा, जहां से सफलता का रास्ता गुजरता है। लेकिन, क्या आप यह जानते हैं कि एसएसबी पैनल किन खूबियों के आधार पर आपका चयन करता है?

इस सवाल का जवाब भी वही ऑफिसर दे सकते हैं जो कैंडिडेट्स को सिलेक्ट या रिजेक्ट करते हैं। दैनिक भास्कर ने ऐसे ही कुछ ऑफिसर्स से बात की है। बोर्ड का हिस्सा रह चुके कर्नल अशोकन, कर्नल डीजेएस चहल और कर्नल कुलवंत कटारिया आपको बता रहे हैं उन फैक्टर के बारे में, जिनके आधार पर कैंडिडेट सिलेक्ट या रिजेक्ट होते हैं।

30% तक कैंडिडेट होते हैं पहले चरण में सिलेक्ट

एसएसबी के पहले चरण में तीन टेस्ट होते हैं। पहला और दूसरा है ऑफिसर इंटेलिजेंस, पिक्चर परसेप्शन एंड डिस्क्रिप्शन टेस्ट। तीसरा टेस्ट क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूट, वर्बल एंड नॉन वर्बल रीजनिंग पर आधारित होता है। इस तरह पहली स्टेज में आपका इंटेलिजेंस लेवल और मानसिक स्थिति परख ली जाती है। अगर आप मानसिक रूप से तैयार नहीं है और सेना में जाने के लिए पर्याप्त इंटेलिजेंस लेवल नहीं रखते, तो आप इस स्टेज को क्वालिफाई नहीं कर सकते। यही वजह है कि पहले चरण में 10-30 प्रतिशत कैंडिडेट्स ही सिलेक्ट होते हैं।

सिर्फ टास्क पूरा करने पर जोर लगाएंगे, तो रिजेक्ट हो सकते हैं

सामान्य सवालों का जटिल जवाब देने वाले कई कैंडिडेट्स को रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है। इसका कारण बताते हुए कर्नल डीजेएस चहल कहते हैं, आमतौर पर एसएसबी को एक ऐसे टेस्ट के रूप में देखा जाता है जहां टास्क को पूरा कर सिलेक्शन की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जबकि ये आधा सच है। टास्क सिर्फ आपकी स्किल्स को परखने का एक जरिया होता है। टास्क के जरिए किन स्किल्स को परखा जा रहा है, यह समझकर उन स्किल्स को डेवलप करने की कोशिश करें, न की हर हाल में टास्क पूरा करने पर जोर लगाएं।

सिर्फ बोलना नहीं, सुनना भी कम्युनिकेशन स्किल है

ग्रुप डिस्कशन एसएसबी का अहम हिस्सा है। यहां कैंडिडेट को अपनी नॉलेज और कम्युनिकेशन स्किल प्रूव करनी होती है। एसएसबी के पैमानों के अनुसार, बोलने के साथ सुनना और ऑब्जर्व करना भी कम्युनिकेशन स्किल का ही हिस्सा है। ग्रुप टास्क या ग्रुप डिस्कशन में यह ऑब्जर्व किया जाता है कि आप टीम के अन्य सदस्यों की राय को कितना महत्व दे रहे हैं। इसके आधार पर ही आपको एक अच्छा कम्युनिकेटर माना जाएगा। दूसरों को सुनने की क्षमता न होने की वजह से आप रिजेक्ट हो सकते हैं।

जिस फील्ड में इंट्रेस्ट है, वहां परफेक्शन हासिल करना जरूरी

SSB की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के सामने सबसे बड़ा सवाल होता है कि वह कहां से शुरुआत कर सकते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स को स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने, डिबेट की प्रैक्टिस करने जैसी सलाहें दी जाती हैं। जिनसे वे एसएसबी में बेहतर परफॉर्म कर पाएं। इस पर कर्नल कुलवंत कटारिया कहते हैं: बेसिक कम्युनिकेशन स्किल्स और फिजिकल फिटनेस के साथ स्टूडेंट्स वही फील्ड चुनें जिसमें उनका इंट्रेस्ट है। जहां आपकी रुचि हो वहां परफेक्शन हासिल करना ही एसएसबी के लिए परफेक्ट होना है। वह स्पोर्ट भी हो सकता है, डिबेट भी, म्यूजिक भी।

अंत में इस तरह होता है सिलेक्शन का फैसला

साइकोलॉजिकल टेस्ट, फिजिकल टेस्ट और इंटरव्यू की जिम्मेदारी तीन एक्सेसर्स पर होती है। अंतिम दिन तीनों एक्सेसर्स के बीच कैंडिडेट्स के सिलेक्शन को लेकर डिस्कशन होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार अधिकतम मामलों में सिलेक्ट होने वाले कैंडिडेट का तीनों टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन रहता है। कई बार मामूली अंतर होता है, ऐसी परिस्थिति में यह देखना होता है कि कैंडिडेट की किस स्किल में कमी है। साहस, तर्क शक्ति और ऑफिसर इंटेलिजेंस ऐसी स्किल्स हैं जिनमें 100 प्रतिशत परफेक्ट होना जरूरी होता है।

SSB के बाद क्या?

लिखित परीक्षा पास करने के बाद कैंडिडेट्स एसएसबी इंटरव्यू के लिए क्वालिफाई करते हैं। लेकिन एसएसबी ही अंतिम सिलेक्शन नहीं होता। इसके बाद आपका मेडिकल टेस्ट होता है। इसे मेडिकल बोर्ड कहा जाता है। मिलिट्री हॉस्पिटल इसके परिणाम घोषित करने में 6 से 10 दिन का समय लेता है। जितना समय मेडिकल बोर्ड में लगता है, उस दौरान कैंडिडेट्स को सिलेक्शन सेंटर में ही रुकना होता है।

एसएसबी टिप्स पर आधारित इस खास सीरीज की अगली स्टोरी में जानिए, स्लम एरिया में रहने वाले एक ऐसे कैंडिडेट्स के सफल होने की कहानी, जिसके लिए न्यूट्रीशन लेना और फिटनेस तो दूर अपना पेट भरना ही एक चुनौती थी।



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from Dainik Bhaskar

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