धोनी की टीम पहली बार प्ले-ऑफ से बाहर, उम्रदराज पर भरोसा और युवाओं पर अविश्वास पड़ा भारी

महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) टीम के लिए IPL का 13वां सीजन सबसे खराब रहा। टीम लीग के इतिहास में पहली बार प्ले-ऑफ में नहीं पहुंच सकी और पॉइंट्स टेबल में सबसे निचले पायदान पर काबिज है। सीएसके ने अब तक मुंबई इंडियंस (4 बार) के बाद सबसे ज्यादा 3 बार आईपीएल खिताब जीता है।

चेन्नई के नाम सबसे ज्यादा 8 बार फाइनल खेलने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। इस दौरान टीम तीन बार (2018, 2011, 2010) चैम्पियन भी रही है। हालांकि, इस बार टीम ने 14 में से सिर्फ 5 मुकाबले जीते हैं। टीम के इस खराब प्रदर्शन का जिम्मेदार कप्तान धोनी और टीम मैनेजमेंट को माना जा रहा है।

जिन्होंने इस सीजन में युवा खिलाड़ियों को नजरअंदाज करते हुए उम्रदराज और अनुभवी प्लेयर्स पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया। यही फैसला टीम के खिलाफ भी रहा। अनुभवी खिलाड़ियों में शेन वॉटसन, मुरली विजय, केदार जाधव और पीयूष चावला पूरी तरह असफल रहे। जबकि ऋतुराज गायकवाड़ और सैम करन को कम मौके मिले, लेकिन उन्होंने हर बार खुद को साबित किया।

चेन्नई टीम के 22 में से 11 रेगुलर प्लेयर 30+ उम्र के
चेन्नई की टीम में शामिल 22 में से 11 रेगुलर प्लेयर की उम्र 30 से ज्यादा है। इनमें शेन वॉटसन 39, धोनी 39, इमरान ताहिर 41, फाफ डु प्लेसिस 36, केदार जाधव 35, मुरली विजय 36, अंबाती रायडू 36, ड्वेन ब्रावो 37, कर्ण शर्मा 33, रविंद्र जडेजा 31 और पीयूष चावला 31 साल के हैं।


1. धोनी की खराब फॉर्म और बैटिंग ऑर्डर

चेन्नई की खराब हालत के लिए कप्तान धोनी की खराब फॉर्म भी जिम्मेदार है। इस सीजन में धोनी रणनीति और बल्लेबाजी दोनों में जूझते हुए दिखे। सैम करन को ओपनिंग भेजने और खुद 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करने जैसे सारे फैसले गलत ही साबित हुए। धोनी ने सीजन के 14 मैच की 12 पारियों में 200 रन बनाए हैं।

इस सीजन में धोनी ने सबसे ज्यादा 6 बार 5वें नंबर पर बल्लेबाजी की। इस दौरान उन्होंने 104 बॉल पर कुल 125 रन बनाए। धोनी ने तीन बार नंबर-4, दो बार नंबर-7 और एक बार नंबर-6 पर बल्लेबाजी की। धोनी इस सीजन में एक भी फिफ्टी नहीं लगा सके। उन्होंने एक ही बार 30 से ज्यादा का स्कोर बनाया है।

सीजन में धोनी का बैटिंग ऑर्डर

पोजीशन इनिंग बॉल खेलीं रन बनाए
नंबर-4 3 37 31
नंबर-5 6 104 125
नंबर-6 1 12 15
नंबर-7 2 19 29

2. वॉटसन, विजय, केदार जैसे प्लेयर्स पर ज्यादा भरोसा
चेन्नई ने सीजन का ओपनिंग मैच मुंबई के खिलाफ खेला और जीता था। कप्तान धोनी ने अपनी बेस्ट टीम मैदान में उतारी थी, जिसमें शेन वॉटसन, मुरली विजय और केदार जाधव जैसे प्लेयर शामिल थे। धोनी ने इन प्लेयर्स को आगे भी मौका दिया, लेकिन इनके बल्ले से रन नहीं निकले और टीम को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।

विजय शुरुआती 3 मैच में सिर्फ 32 रन ही बना सके। इसके बाद उन्हें मौका नहीं मिला। वॉट्सन और धोनी भी एक-दो मैच में ही रन बना सके। टीम के फाफ डु प्लेसिस और अंबाती रायडू ही 300 से ज्यादा रन बना सके हैं। टॉप-6 स्कोरर में धोनी, जडेजा, वॉटसन और गायकवाड़ ने 200+ रन बनाए हैं। इनके अलावा कोई भी बल्लेबाज 200 का आंकड़ा नहीं छू सके।

खिलाड़ी मैच पारी रन
फाफ डु प्लेसिस 13 13 449
अंबाती रायडू 12 11 359
शेन वॉटसन 11 11 299
रविंद्र जडेजा 14 11 232
ऋतुराज गायकवाड़ 6 6 204
महेंद्र सिंह धोनी 14 12 200

3. अच्छे तेज गेंदबाजों की कमी
चेन्नई ने अपनी गेंदबाजी को भारतीय पिच के हिसाब से सजाया था। इसमें स्पिनर्स ज्यादा रखे गए थे, जो यूएई की पिच पर काम नहीं आए। यह बात कप्तान धोनी ने सीजन का चौथा मैच राजस्थान के खिलाफ 16 रन से हारने के बाद कही थी। धोनी ने कहा था कि यूएई की पिच के हिसाब से टीम में अच्छे तेज गेंदबाजों की कमी खली है।

चेन्नई के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले टॉप-5 गेंदबाजों में सभी फास्ट बॉलर हैं। इस लिस्ट में सैम करन 13 विकेट के साथ पहले नंबर पर काबिज हैं। हालांकि, इन गेंदबाजों का प्रदर्शन टीम को जिताने जैसा नहीं रहा। 6-6 विकेट लेकर छठवें नंबर पर स्पिनर रविंद्र जडेजा और 7वें नंबर पर पीयूष चावला काबिज हैं। जडेजा ने 14 और चावला ने 7 मैच खेले हैं।


4. रैना-हरभजन का बाहर होना और ब्रावो की फिटनेस

IPL का 13वां सीजन शुरु होने से पहले ही चेन्नई के स्टार बल्लेबाज सुरेश रैना और स्पिनर हरभजन सिंह ने टूर्नामेंट से नाम वापस ले लिया था। रैना तो यूएई आकर लौट गए थे। इन दोनों के हटने से भी टीम के परफॉर्मेंस पर असर पड़ा है। लीग के इतिहास में चेन्नई के लिए सुरेश रैना ने 193 मैच में सबसे ज्यादा 5368 रन बनाए हैं। वहीं, हरभजन ने 160 मैच में सबसे ज्यादा 150 विकेट लिए हैं।

शुरुआती मैचों में चोट के कारण ऑलराउंडर ड्वेन ब्रावो को टीम से बाहर रहना पड़ा था। इसका भी टीम को भारी नुकसान उठाना पड़ा। चोट से उभरने के बाद ब्रावो पुरानी लय में नजर नहीं आए और 6 मैच में सिर्फ 6 विकेट ही ले सके।

5. प्ले-ऑफ से बाहर होने के बाद युवाओं पर भरोसा किया
कप्तान धोनी और टीम मैनेजमेंट ने शुरुआत से ही उम्रदराज और सीनियर खिलाड़ियों पर भरोसा जताया, जो गलत साबित हुआ। टीम प्ले-ऑफ से लगभग बाहर हो चुकी थी, तब युवाओं पर भरोसा किया गया। धोनी ने टीम के 8वें मैच में सैम करन को अचानक ओपनिंग भेजा। इसमें ऑलराउंडर ने हैदराबाद के खिलाफ 31 रन की पारी खेलकर टीम को जिताया था।

ऋतुराज गायकवाड़ ने टीम के दूसरे मैच से IPL में अपना डेब्यू किया, जिसमें वे खाता नहीं खोल सके थे। उन्होंने शुरुआती 4 मैच की 3 पारियों में 13 रन बनाए। इसके बाद मैनेजमेंट और कप्तान ने उनको बाहर कर दिया। टीम के प्ले-ऑफ की रेस से बाहर होने के बाद आखिरी के 3 मैच में गायकवाड़ को फिर मौका मिला। तब उन्होंने खुद को साबित किया और लगातार 3 फिफ्टी लगाईं। ऐसा करने वाले वे CSK के पहले खिलाड़ी भी बने। आखिरी के 3 मैच में उन्होंने 191 रन बनाए।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Chennai Super Kings CSK performance in IPL 2020 MS dhoni Ravindra Jadeja Shane watson Updates


from Dainik Bhaskar

Post a Comment

0 Comments