एसिडिटी को नजरअंदाज करने से हो सकती हैं अल्सर जैसी बीमारियां; जानें कारण, लक्षण और बचने के उपाय

क्या आपको पता है कि भारत में एसिडिटी से कितने लोग परेशान हैं? जवाब है 25 करोड़। यह उन लोगों का आंकड़ा है, जिन्हें एसिडिटी एक परमानेंट बीमारी के तौर पर परेशान कर रही है। ऐसे लोगों का तो कोई आंकड़ा ही नहीं है, जिन्हें यह कभी-कभी होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में एसिडिटी कितनी आम समस्या है। सर्दियों का मौसम चल रहा है, इसमें एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है।

लखनऊ में फिजीशियन डॉ. शिखा पांडे बताती हैं कि सर्दियों में एसिडिटी के मामले आम दिनों की तुलना में दोगुने हो जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह सर्दियों में डाइजेशन सिस्टम का स्लो हो जाना है। सर्दियों में लोगों का फिजिकल एक्सरसाइज और खान-पान को लेकर ज्यादा लापरवाह हो जाना भी इसकी एक वजह है।

एसिडिटी क्या है?

  • डॉ. शिखा के मुताबिक, हमारे पेट की ग्रंथियों द्वारा एक एसिड बनता है, इसे ऑर्गेनिक एसिड कहते हैं। जब यही एसिड जरूरत से ज्यादा बनने लगता है, तो यह हमारे लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है। इसे ही एसिडिटी कहा जाता है।

  • एसिडिटी की वजह से पेट में अल्सर, गेस्ट्रिक सूजन, हार्ट-बर्न और अपच जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई दवाएं भी गेस्ट्रिक की वजह बनती हैं। ज्यादा या भारी खाना खाने से होने वाली एसिडिटी के चलते पेट और छाती में तेज जलन होती है। जिन लोगों को एसिडिटी होती है, उनमें अपच और कब्ज भी आम है।

एसिडिटी के कारण क्या हैं?

हमारा पेट आमतौर पर गेस्ट्रिक एसिड बनाता है, जो डाइजेशन में मदद करता है। गेस्ट्रिक एसिड मतलब, पेट में बनने वाला एसिड लिक्विड फॉर्म में न होकर गैस के फॉर्म में होता है। हमारी लापरवाही के चलते या ठंड लग जाने के बाद यह ज्यादा मात्रा में बनने लगती है। इसके बनने की वजह बस यहीं तक सीमित नहीं हैं। अगर कोई जरूरत से ज्यादा तनाव लेता है, तो उसे एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

एसिडिटी के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

एसिडिटी के कई लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ लक्षण प्रॉमिनेंट होते हैं। यानी अगर आपको ऐसी समस्याएं लगातार दिख रही हैं तो आप समझ जाइए कि आपको एसिडिटी हो गई है। अगर आप शुरूआती लक्षणों को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो यह एसिडिटी एक परमानेंट समस्या के तौर पर उभर सकती है।

बचने के लिए बरतें ये सावधानियां
यहां हम इलाज की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि हम आपको यह बता रहे हैं कि एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें।

  • रिफ्लक्स पैदा करने वाले खाने से बचें: अधिक मसालेदार भोजन, कॉफी और कार्बोनेट युक्त खाना न खाएं।

  • खाने को तीन के बजाय 5 हिस्से में बांटें: दिन में 3 बार नियमित खाना न खाएं, इसे 5 छोटे भागों में बांटे ताकि दबाव से बचा जा सके।

  • खाना खाने के बाद लेटे ना: खाने के बाद अपने बिस्तर तक पहुंचने के लिए कम से कम आधे घंटे का समय लें, खाने के बाद तुरंत लेटने से डाइजेशन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है।

  • नॉर्मल एसिडिटी में ही सावधान हो जाएं: अगर गैस बन रही है तो कुछ हफ्तों के लिए एसिडिटी ट्रिगर करने वाले खाने को छोड़ दें। इसे नजरंदाज करना ठीक नहीं।

  • फैट को कंट्रोल करें : अगर वजन बढ़ रहा है और शरीर में ज्यादा फैट नजर आ रहा है तो यह एसिडिटी की वजह बन सकता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके, बॉडी फैट को कंट्रोल करें।

  • कुछ दवाओं से बचें: कुछ ओटीसी दवाएं जैसे इब्युप्रोफेन, पेरासिटामोल एसिडिटी और दूसरी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं जैसे एंटिचोलिनर्जिक्स, डोपामाइन जैसी दवाओं, थियोफाइलिइन, सेडेटिव्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और बीटा-ब्लॉकर से एसिडिटी पैदा हो सकती हैं। अगर डॉक्टर इन दवाओं को लिखता है तभी लें।

कैसे पाएं एसिडिटी से निजात ?

अगर एसिडिटी हो गई है, तो उससे छुटकारा पाने के लिए कुछ विशेष सावधानियों को बरतना होगा। डॉ. शिखा के मुताबिक, इसके इलाज के दौरान सबसे पहले हमें खुद पर कंट्रोल करना होगा। खाने-पीने से लेकर फिजिकल एक्टिविटी तक कोई भी लापरवाही महंगी पड़ सकती है।

ये 3 चेकअप जरूरी

  • PH की निगरानी: यह एसोफैगस में एसिड लेवल की जांच करता है। यह डिवाइस डॉक्टर द्वारा एसोफैगस में डाला जाता है, यह एसोफैगस में एसिड की मात्रा को मापने के लिए 2 दिनों के लिए वहां छोड़ दिया जाता है।

  • बेरियम स्वल्लो: यह नैरो एसोफैगस और अल्सर का पता लगाने में मदद करता है। अगर ज्यादा दिक्कत हो रही है, तो आपको इस टेस्ट से भी गुजरना चाहिए।

  • एंडोस्कोपी: निचले हिस्से में छोटे कैमरे के साथ एक लंबी, लचीली रोशनी वाली ट्यूब को मुंह के माध्यम से डाला जाता है और कैमरा से एसोफैगस की मदद से पेट की समस्याओं का पता लगाया जाता है।

खाने में इन चीजों को करें शामिल

  • बादाम: यह पेट के दर्द से राहत देता है और एसिडिटी को पूरी तरह रोकता है। इसे लेने में एक बात का ध्यान रखें कि इसे खाना खाने के बाद लें और 4 बादाम से ज्यादा न लें।

  • केला और सेब: केले में प्राकृतिक रूप से एंटासिड होता है। इसे भी रात के खाने के बाद लिया जा सकता है। यह पेट में जरूरत से ज्यादा एसिड नहीं बनने देता।

  • नारियल पानी: नारियल पानी पीने के दौरान, शरीर का PH एसिडिक लेवल क्षारीय हो जाता है और यह एसिड के गंभीर प्रभावों से बचाता है। यह फाइबर युक्त पानी होता है, इससे पाचन भी आसान हो जाता है और एसिडिटी के प्रेशर को भी कम करता है।



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Ignoring acidity can cause diseases like ulcers, causes, symptoms and ways to avoid


from Dainik Bhaskar

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