अमेरिका, ब्रिटेन समेत 16 से ज्यादा देशों में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। वैक्सीन की डोज की कम उपलब्धता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने के लिए नई स्ट्रैटजी पर विचार हो रहा है। इसमें दूसरी डोज का गैप बढ़ाना, डोज का साइज घटाना और पहली व दूसरी डोज में वैक्सीन बदलने का प्रपोजल भी है। अब इस स्ट्रैटजी पर विशेषज्ञों में बहस शुरू हो गई है।
इस बहस और इसके नतीजे भारत के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अगले हफ्ते से यहां भी वैक्सीनेशन शुरू होने की उम्मीद है। दो वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया जा चुका है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की ओर से डेवलप वैक्सीन कोवीशील्ड के करीब 5-6 करोड़ डोज तैयार कर लिए हैं। भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सिन के भी करीब इतने ही डोज तैयार हैं और उनके ट्रांसपोर्टेशन का काम जल्द ही शुरू होने वाला है। दुनियाभर में वैकल्पिक स्ट्रैटजी पर दी जा रही दलीलें इस तरह हैं...
वैकल्पिक स्ट्रैटजी की जरूरत क्यों पड़ रही है?
- ब्रिटेन समेत ज्यादातर यूरोपीय देशों और अमेरिका में पिछले हफ्तों में कोरोनावायरस के केस तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में नए, ज्यादा तेजी से ट्रांसमिट होने वाले कोरोना वैरिएंट्स से मुकाबले के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने की जरूरत है।
- इसका फायदा यह होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पहली डोज मिल जाएगी। दूसरी डोज देने में 4 से 12 हफ्तों का वक्त मिल जाएगा। इस पर ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्पटन के ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट माइकल हेड का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों में पार्शियल इम्युनिटी होगी तो इससे कोरोना के गंभीर मामलों में कमी आएगी। साथ ही अस्पतालों का बोझ भी कुछ हद तक कम हो सकेगा।
Why has the UK taken the step to delay the second dose of the covid vaccine? What’s the evidence for changing the schedule? And how effective is just one dose?@Garethiacobucci and @emahase_ answer your questionshttps://t.co/mfqg1go48X
— The BMJ (@bmj_latest) January 7, 2021
क्या दूसरी डोज देने में देरी से इम्युनिटी प्रभावित होती है?
- कुछ कह नहीं सकते। इस पर एक्सपर्ट्स में एक राय नहीं है। अब तक दुनियाभर में जितनी भी वैक्सीन अप्रूव हुई हैं, वह सभी दो डोज वाली हैं। पहली डोज इम्यून सिस्टम को वायरस को पहचानने और उसके खिलाफ सुरक्षा विकसित करने की ट्रेनिंग देती है। दूसरी बूस्टर डोज इसी प्रक्रिया को दोहराती है।
- ब्रिटेन के MHRA हेल्थ रेगुलेटर ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को अप्रूवल देते हुए कहा था कि दो डोज के बीच का अंतर तीन महीने का था तो वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 80 प्रतिशत तक रही थी। यह चौंकाने वाला है, क्योंकि डेवलपर्स ने भी अपनी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 70% ही बताई थी।
- यूके सरकार की वैक्सीन एडवायजरी कमेटी ने कहा कि फाइजर/बायोएनटेक की वैक्सीन की पहली डोज देने के दो हफ्ते बाद लोगों में 89% प्रोटेक्शन दिखा है। वहीं ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की पहली डोज के बाद वायरस के खिलाफ 70% प्रोटेक्शन दिखा है, पर इसके समर्थन में कोई डेटा नहीं दिया गया है।
- दूसरी ओर, मॉडर्ना ने दावा किया है कि पहली डोज के दो हफ्ते बाद उसकी वैक्सीन कोरोना से बचाने में 80% इफेक्टिव साबित हुई है। पर फाइजर और बायोएनटेक ने कहा कि उनकी वैक्सीन का पहला डोज देने के बाद कितने दिन प्रोटेक्शन मिलेगा, इस बात का कोई सबूत उनके पास नहीं है।
- अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के डायरेक्टर डॉ. एंथोनी फॉसी ने कहा कि अमेरिका में दूसरा डोज देने में देरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि हम वही करेंगे, जो अभी कर रहे हैं।
I agree. "If delay in 2nd dose is implemented then rigorous RCTs comparing 21-day & delayed 2nd dosing schedule should be conducted to rapidly ensure evidence-based future vaccination policy." This does not need to delay roll out @MartinLandray @PeterHorby https://t.co/NZzAKO9kxY
— Jeremy Farrar (@JeremyFarrar) January 6, 2021
कोरोना वैक्सीन स्विच या मिक्स करने की स्ट्रैटजी क्या है?
- मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को फाइजर की वैक्सीन की पहली डोज दी गई है और जब दूसरी डोज लगाने की बारी आई, तब वह उपलब्ध ही न हो। उस समय उपलब्धता के आधार पर दूसरी डोज मॉडर्ना या ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की भी दी जा सकती है। इस स्ट्रैटजी के पक्ष और विपक्ष में भी दलीलें हैं।
- कुछ एक्सपर्ट्स का दावा है कि अब तक अप्रूव की गई सभी वैक्सीन वायरस के बाहरी स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करती हैं। वह मिलकर शरीर को वायरस के खिलाफ लड़ने में सक्षम बना सकती है।
- ब्रिटिश अधिकारियों का मानना है कि वैक्सीन की डोज कम है और जिन्हें यह लगाई जानी है, उनकी संख्या ज्यादा है। ऐसे में कोरोना वैक्सीन को स्विच करने या मिक्स करने से उनका काम आसान हो जाएगा।
If you’re worried about the delayed second dose of the COVID vaccines here’s a thread.
— Chris van Tulleken 🏳️🌈 (@DoctorChrisVT) January 4, 2021
I live with my wonderful mother-in-law (below): she is high risk and has had a single dose. She's hoping for another but is worried about a delay. You may feel the same...#VaccineStrategy pic.twitter.com/ecF3LZXYRr
क्या वैक्सीन के ट्रायल्स में इन स्ट्रैटजी की जांच की गई है?
- नहीं। किसी भी कोरोना वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स में डोज के गैप को बढ़ाने या दो वैक्सीन को मिक्स या स्विच करने की स्ट्रैटजी नहीं अपनाई गई है।
- लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन (LSHTM) के फार्मेको एपिडेमियोलॉजी प्रोफेसर स्टीवन इवांस ने कहा कि किसी भी कोरोना वैक्सीन का ट्रायल्स इस तरह नहीं हुआ है। अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स करने के प्रभाव भी नहीं देखे गए हैं। इस वजह से ऐसा करना ठीक नहीं होगा।
- न्यूयॉर्क में वेल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी और इम्युनोलॉजी प्रोफेसर जॉन मूर ने भी कहा कि वैक्सीन स्विच करने का सवाल ही नहीं उठता। इस संबंध में कोई डेटा नहीं है। इसे टेस्ट नहीं किया गया है, टेस्ट किया भी हो तो उसका डेटा उपलब्ध नहीं कराया है। इस वजह से यह स्ट्रैटजी ठीक नहीं होगी।
भारत में वैक्सीन के डोज को लेकर क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट?
- इसे लेकर अस्पष्टता ही है। दरअसल, भारतीय रेगुलेटर ने वैक्सीन के डोज पर स्पेसिफिक गाइडलाइन नहीं दी है। सरकार की ओर से जरूर बताया जा रहा है कि दो डोज में चार हफ्तों का गैप रखा जाएगा। फिलहाल सरकार इसी पर कायम नजर आ रही है।
- रूबी जनरल हॉस्पिटल में इंफेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल विभाग के प्रमुख डॉ. देबकिशोर गुप्ता का कहना है कि भारत में सीरम को ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के फुल दो डोज को अप्रूवल दिया गया है, पर डोजिंग शेड्यूल नहीं बताया है, जबकि यूके में इसी वैक्सीन के दो डोज में 4 से 12 हफ्ते का अंतर रखने का स्पष्ट शेड्यूल दिया है। इससे वैक्सीनेशन को गति मिलेगी। ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेट किए जा सकेंगे।
- वहीं, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. गजेंद्र सिंह कहते हैं कि एस्ट्राजेनेका के वायरलॉजिस्ट ने वैक्सीन वेक्टर को रूस के स्पुतनिक वी के साथ मिक्स करने पर काम शुरू किया है। एस्ट्राजेनेका दोनों शॉट्स के लिए समान कम्पोनेंट का इस्तेमाल करता है, पर रूसी वैक्सीन में अलग-अलग कम्पोनेंट का इस्तेमाल किया है। इससे इफेक्टिवनेस 91.4% रही है।
- वहीं, यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने हाल ही में डोज की मात्रा और अंतर के साथ ही वैक्सीन कॉम्बिनेशन पर हो रहे प्रयोगों के खतरे बताए हैं। यह क्लीनिकल ट्रायल्स में देखा जाना था कि सबसे अच्छा विकल्प क्या होगा। जब वैक्सीन इस्तेमाल के लिए अप्रूव हो चुकी हो, तब बिना किसी साइंटिफिक एविडेंस के उसके साथ प्रयोग करना जनता को खतरे में डाल सकता है।
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