सैफ अली खान और प्रीति जिंटा स्टारर फिल्म 'सलाम नमस्ते' की रिलीज को बुधवार को 15 साल पूरे हो गए। ये फिल्म 9 सितंबर 2005 को रिलीज हुई थी। इस मौके पर फिल्म के निर्देशक सिद्धार्थ आनंद ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की और बताया कि ये फिल्म अपने समय से आगे की फिल्म थी।
सिद्धार्थ ने कहा कि 'आज इस फिल्म को आए 15 साल हो रहे हैं और इसने एक ऐसे मुद्दे को उठाया था, जो टैबू था। तब भी लिव-इन के बारे में ज्यादा बातें नहीं की जाती थीं, लेकिन यह भारत के अंदर या विदेशों में बसे भारतीय समाज में बेहद प्रचलित था। भले ही यह अपने वक्त से आगे की फिल्म जान पड़ती थी, लेकिन फिल्म में जानबूझकर कोई शर्मसार करने या चौंका देने वाला काम नहीं किया गया था। कुछ अजीब करने की कोशिश भी नहीं हुई थी।'
जो भी दिखाया वो सबकुछ ऑर्गेनिक था
आगे उन्होंने कहा, 'जब फिल्म रिलीज हो रही थी और हमने इसमें दिखाए गए लिव-इन रिलेशनशिप को प्रचारित करना शुरू किया, तो मुझे उसी वक्त सचमुच ऐसा महसूस हुआ कि हम कुछ बिल्कुल नया करने जा रहे हैं। मैंने कुछ भी अलग या नया करने की कोई कोशिश नहीं की थी। ये बिल्कुल इस तरह से था कि ठीक है, वे दोनों किरदार कमरे का भाड़ा शेयर कर रहे हैं और एक-दूसरे से घुलने-मिलने लगे। इसलिए दो कमरों से एक ही कमरे में रहने जा रहे हैं। यही लिविंग इन है। तो यह ऑर्गेनिक था।'
हमने स्पून फीडिंग की कोशिश नहीं की
'इसमें लज्जाजनक या चौंका देने वाली कोई बात ही नहीं थी। मैं इसी तरह की कोई नई और बेपरवाह किस्म की चीज दिखाना चाहता था। यह बेहद ऑर्गेनिक था और मुझे लगता है कि इसी चीज ने हमें कामयाबी दी। हमने बहुत ज्यादा कोशिश नहीं की थी और इसे दर्शकों के मुंह में स्पून फीडिंग की जाए। यही वजह है कि बिना शादी किए ही एक साथ रहने वाले भारतीयों को लेकर इस फिल्म ने हमारे समाज में एक बेहद अहम चर्चा छेड़ दी थी।'
यशराज में है सबको बराबरी का दर्जा
'यह यशराज बैनर की फिल्म है। यहां के माहौल में जादू है। इस कंपनी में मैंने बतौर असिस्टेंट शुरुआत की थी। फिर भी हमें यहां बराबरी का दर्जा दिया जाता था। अक्सर शनिवार को आदित्य चोपड़ा हमें लंच पर ले जाया करते थे। आप यहां घर में होने जैसा महसूस करते हैं क्योंकि जब आप अपने घर में होते हैं तो हर व्यक्ति बराबर होता है, और ठीक इसी भावना के साथ आप YRF में रहते हैं।'
यशराज ने फिल्मों के मापदंडों को ऊंचा किया
'मेरा मतलब है कि हम महज असिस्टेंट थे और यश चोपड़ा व आदि चोपडा को इंडियन सिनेमा के गॉड की नजर से देखते थे, जिन्होंने सबसे बड़ी इंडियन ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाई थीं और वे हमारे प्रेरणास्रोत थे। ‘हम तुम’ से लेकर ‘वार’ तक की गई फिल्मों ने पॉप कल्चर को गढ़ा है। उन्होंने जिस भी जॉनर में हाथ आजमाया, उनकी फिल्मों ने स्टैंडर्ड को ऊंचा ही उठाया।'
हर फिल्म से मैंने अलग करने की कोशिश की
सिद्धार्थ का कहना है- 'अपने करियर में मुझे 15 साल हो चुके हैं और इस दौरान मैंने 6 फिल्में बनाई हैं और मुझे लगता है कि हां, मैंने अपनी हर फिल्म के साथ कुछ अलग करने की कोशिश की है, मुझे लगता है कि आखिरकार ‘वॉर’ फिल्म के सहारे मैं अपनी ऑडियंस के साथ इस कदर जुड़ चुका हूं, कि अब वे मुझसे कुछ ऐसी अपेक्षा रखते हैं जो नए रिकॉर्ड स्थापित करे।'
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